NCERT ने एलिमेंट्री एजुकेशन के लिए तय किया हर स्टूडेंट का मिनिमम नॉलेज लेवल

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NCERT ने एलिमेंट्री एजुकेशन के लिए तय किया हर स्टूडेंट का मिनिमम नॉलेज लेवल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसी भी क्लास में बच्चे ने क्या सीखा इस बात को परखने के लिए एग्जाम में पास होना ही अब तक बैंचमार्क माना जाता है, लेकिन इस एजुकेशन पैटर्न को फॉलो करते हुए यह इनश्योर नहीं किया जा सकता है कि वाकई में बच्चे को अगली क्लास में प्रमोट किया जाए, उतना सीखा भी है या नहीं। यही वजह है कि क्वालिटी एजुकेशन और लेवल ऑफ एजुकेशन बेहतर करने के लिए हाल ही में एनसीईआरटी ने एलिमेंट्री एजुकेशन के लिए एक लर्निंग आउटकम मॉड्यूल तैयार किया है। इसमें पहली क्लास से लेकर 8वीं क्लास तक हर बच्चे को उसके सभी सब्जेक्ट से जुड़ी कितनी बेसिक नॉलेज होनी चाहिए, यह बताया गया है। खास बात यह है कि बच्चों को इस लर्निंग आउटकम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सिर्फ टीचर की नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारी टीचर के साथ पैरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी व कम्यूनिटी मेम्बर्स की भी होगी। इस मॉड्यूल पर सिटी भास्कर ने जाना कि आखिर सीबीएसई एलिमेंट्री एजुकेशन में किस तरह के बदलाव करने जा रही है। 

तय हो गया कितना नॉलेज जरूरी
सीबीएसई काउंसलर ने कहा "अब तय हो गया है कि पहली कक्षा में पढ़ रहे छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित में कम से कम कितना आना जरूरी है।" जैसे पहली क्लास में बच्चे को लिखा दिया गया है कि मेरा नाम विमला है, तो इसके हर अक्षर को वह पहचाने। पूछा जाए कि "म" कहां है, तो वह "म" पर अंगुली रखकर बता सके। अपने आस-पास मौजूद प्रिंट के अर्थ का अनुमान लगा सके, जैसे टॉफी के कवर पर लिखे नाम को टॉफी, लॉलीपॉप या चॉकलेट बता सके।

स्पेशल एजुकेटर्स करेंगे हेल्प 
लर्निंग आउटकम के साथ सीबीएसई ने स्कूलों में स्पेशल एजुकेटर्स रखने को भी कहा है। अगर लर्निंग आउटकम को ध्यान में रखकर सालभर मेहनत करने पर भी कोई बच्चा इस लेवल तक नहीं पहुंच पा रहा, तो ऐसे स्लो लर्नर बच्चों के साथ स्कूल के स्पेशल एजुकेटर्स काम करेंगे और उन्हें जरूरी नॉलेज लेवल तक पहुंचाएंगे। अभी इसके जजमेंट का तरीका क्या होगा, सीबीएसई ने यह क्लियर नहीं किया है।

यह हैं खास बदलाव
-मीनिंगफुल और जॉय फुल लर्निंग के लिए टीचर्स लर्निंग आउटकम डॉक्यूमेंट्स को प्रैक्टिस में लाएं। 
-टेक्स्ट बुक को ही संपूर्ण करिकुलम न मानकर उसी तक सीमित न रहें, बल्कि अलग-अलग करिकुलम एरिया को भी एक्सप्लोर कर बच्चे को लर्निंग आउटकम तक पहुंचाने की कोशिश करें। 
-पैरेंट्स को भी जागरूक करें ताकि बच्चे को उन क्लासेस के हिसाब से जरूरी कॉम्पिटेंसी लेवल को बताने वाले कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेने के लिए भेजें। हर साल पैरेंट्स-टीचर्स मीट भी करें। 
-प्रिंसिपल स्कूल में एनुअल करिकुलम प्लान बनाने में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी क्लासेस के लिए टीचर्स ऐसा ही प्लान बनाएं। 
-प्रिंसिपल यह भी सुनिश्चित करेंगे कि टीचर्स ने जो एनुअल करिकुलम प्लान बनाया है, वे इफेक्टिवली इम्प्लीमेंट किया जा रहा है या नहीं। 
-हर स्कूल को टीचर्स के लिए 3 दिन का इन हाउस ट्रेनिंग प्रोग्राम करना होगा, जिससे टीचर्स अपनी प्लानिंग को बेहतर और पुख्ता कर सकें। 
-स्कूल के असेसमेंट का तरीका भी इसी लर्निंग आउटकम पर केन्द्रित होना चाहिए। 
-आर्ट, हेल्थ, फिजिकल, लाइफ स्किल्स और वैल्यू एजुकेशन भी इस करिकुलम में जरूर शामिल करें। 
-स्कूल मैनेजमेंट और प्रिंसिपल, टीचर्स को ट्रेनिंग देंगे कि लर्निंग आउटकम डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किस तरह से करें। 
 

Created On :   28 Jan 2019 2:03 PM IST

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