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राकांपा-भाजपा की विचारधारा अलग, एक साथ नहीं आ सकते

डिजिटल डेस्क, मुंबई । राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात पर गरमाई राजनीति को लेकर राकांपा ने सफाई दी है। राकांपा प्रवक्ता व राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने शनिवार को कहा कि सहकारी बैंक कानून में संशोधन को लेकर श्री पवार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौपा है। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के राजनीतिक अर्थ निकालने का कोई अर्थ नहीं है।प्रदेश राकांपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत मेंमलिक ने कहा कि भाजपा व राकांपा की विचारधारा अलग है, इस लिए दोनों दलों का एक साथ आना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में राकांपा अध्यक्ष पवार नेप्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर को-ऑपरेटिव सोसाईटी को लेकर किए संविधान संशोधन की बाबत ज्ञापन सौपा है। मलिक मे कहा कि इस संशोधन से सहकारी बैंक संकट में हैं।
उन्होंने कहा कि इस मुलकात के बारे में कांग्रेस नेताओं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे क भी पहले से पता था। कांग्रेस के पार्टी प्रभारी एचके पाटिल ने पिछले दिनों पार्टी के दो मंत्रियों के साथ श्री पवार से मुलाकात की थी। इस दौरान राकांपा अध्यक्ष ने उन्हें इस बाबत जानकारी दी थी। मलिक ने कहा कि भाजपा व राकंपा नदी के किनारे हैं, जिनका मिलना असंभव है। उन्होंने साफ किया कि राकांपा-भाजपा के एक साथ आने की चर्चा बेबुनियाद है। इसमें कोई तथ्य नहीं है। राकांपा प्रवक्ता ने इस बात को भी गलत बताया कि नई दिल्ली में पवार और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस के बीच कोई मुलाकात हुई थी। मलिक ने कहा कि भाजपा व राकांपा के राष्ट्रवाद में जमीन आसमान का अंतर है। राज्य की महाविकास आघाडी सरकार अच्छी तरह कार्य कर रही है।
दीवार पर सिर मारने से नहीं गिरेगी यह सरकारः राऊत
नरेंद्र मोदी व राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की मुलाकात को लेकर शिवसेना प्रवक्ता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि इसमें आश्चर्य की बात क्या है। पवार देश के रक्षा व कृषि मंत्री रह चुके हैं। यदि वे प्रधानमंत्री से मुलाकात करते हैं तो इसमें गलत क्या है। राऊत ने कहा कि दीवार पर सर मारने से महा विकास आघाडी सरकार नहीं गिरेगी। हम पांच साल तक सरकार चलाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई थी।शरद पवार-मोदी मुलाकात से भी राज्य सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा के मन में कुछ दर्द है।उन्हें इसे हमें बताना चाहिए। उनके पास चर्चा करने के लिए तीन साल का समय है। राऊत ने कहा कि हमने वादा किया है कि यह सरकार पांच साल तक चलाएंगे।
जब भाजपा को बिना शर्त मिला था राकांपा का समर्थन
राकांपा प्रवक्ता भले ही आज भाजपा व राकांपा को नदी के दो किनारे बता रहे हो पर इसके पहले भाजपा राकांपा के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना चुकी है। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना अलग-अलग हो गए थे। चुनाव बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए किसी अन्य दल के विधायकों के समर्थन की जरुरत थी। ऐसे में राकांपा ने भाजपा को बिना शर्त बाहर से समर्थन दिया था। हालांकि बाद में शिवसेना-भाजपा एक साथ आ गए थे और दोनों दलों ने मिलकर पांच साल तक सरकार चलाई थी। बाद में इस बारे में पवार ने कहा था कि भाजपा-शिवसेना की बीच दूरी बढ़ाने के लिए यह उनकी राजनीतिक चाल थी।
Created On :   17 July 2021 7:06 PM IST