निजी हाथों में स्कूल सौंपने के निर्णय पर पुनर्विचार जरूरी

Need to reconsider the decision to hand over the school to private hands
निजी हाथों में स्कूल सौंपने के निर्णय पर पुनर्विचार जरूरी
निजी हाथों में स्कूल सौंपने के निर्णय पर पुनर्विचार जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  जिले के दुर्गम क्षेत्र में कम विद्यार्थी संख्या वाले एकल शिक्षक स्कूल प्राइवेट पार्टनरशिप में चलाने के निर्देश शालेय शिक्षण अतिरिक्त मुख्य सचिव ने विभाग को दिए हैं। शिक्षणाधिकारी ने सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन को संभावना तलाशने के आदेश दिए हैं। इस निर्णय का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है। प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

जिप स्कूल के निजीकरण का हथकंडा
जिला परिषद स्कूल ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के प्रमुख केंद्र है। दुर्गम क्षेत्र में विद्यार्थी कम रहने से एक शिक्षक के माध्यम से चार कक्षाएं चलाई जाती हैं। उसमें से अनेक स्कूल का आसपास के स्कूल में समायोजन किया गया है। जो स्कूल बचे हैं, उन्हें प्राइवेट पार्टनरशिप में चलाने की संभावना तलाशी जा रही है। अखिल महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षक संघ का मानना है कि सरकार जिला परिषद स्कूल का निजीकरण करने का हथकंडा अपना रही है।

शैक्षणिक व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी
शिक्षा का अधिकार अंतर्गत उम्र के 14 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा पाने का विद्यार्थियों का अधिकार है। शैक्षणिक व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटक रही है। 

सरकार निर्णय वापस ले
शिक्षण जनकल्याणकारी सेवा है। दुर्गम क्षेत्र में िनजी शिक्षा संस्थाएं नहीं पहुंची हैं। वहां जिला परिषद स्कूल ही शिक्षा के प्रमुख केंद्र है। विद्यार्थी संख्या कम है, इसलिए स्कूल निजी हाथों में सौंपना गलत है। सरकार से निर्णय वापस लेने की अखिल महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष देविदास बसवदे, महासचिव कल्याण लवांडे, गोपालराव चरडे, रामू गोतमारे, सुनील पेटकर, सुभाष गायधने, ज्ञानेश्वर वंजारी, धनराज बोड़े, वीरेंद्र वाघमारे आदि ने मांग की है।

Created On :   15 July 2021 3:48 PM IST

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