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साफ्टवेयर में ऑप्शन नहीं, अफसरों को भी पता नहीं कैसे करना है डायवर्सन

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। 25 सितंबर से प्रदेश में नई भू-राजस्व संहिता लागू की गई है। जिसमें अब आवेदक अपनी जमीन का खुद डायवर्सन कर सकेगा, लेकिन इस नई व्यवस्था की शुुरुआत में ही खामियां सामने आने लगी है। असल में जो वेबसाइट शासन द्वारा बनाई गई है, उसमें ये ऑप्शन ही नहीं है कि आवेदक को कितनी फीस जमा करनी है और जमीन की गणना कैसे करनी है। खुद राजस्व के अधिकारी भी ये बात समझ नहीं पा रहे हैं। जिस वजह से आवेदकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि वेबसाइट बनाने का काम लगातार जारी है। वेबसाइट का काम पूरा होते ही ऑनलाइन डायवर्सन की गणना व्यक्ति खुद कर सकेगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर को अपडेट किया जा रहा है।
क्या है नई प्रक्रिया
भू-राजस्व संहिता के वर्षों पुराने नियम को खत्म कर दिया गया है। जिसके तहत डायवर्सन की धारा खत्म कर दी गई है। इस नई नीति के तहत आवेदक खुद बताएगा कि उसे इतनी खेती की जमीन का आवासीय या व्यावसायिक डायवर्सन कराना है। इसके तहत उसकी जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन से गणना कर उसका प्रीमियम और भू-भाटक तय किया जाएगा।
इसलिए शासन को बदलना पड़ा नियम
नए नियमों के पहले अनुविभागीय दफ्तरों में खेती के जमीन के आवासीय व व्यावसायिक डायवर्सन किए जाते थे। इसके लिए आवेदक को जमीन का नामांतरण कराने के बाद डायवर्सन कराना होता था। जिससे आवेदक को तहसील से लेकर अनुविभाग कार्यालय तक के चक्कर काटने पड़ते थे। इस लंबी प्रक्रिया से छुटकारा के लिए शासन ने भू-राजस्व संहिता में संशोधन किया था। जिसके बाद आदमी अपनी जमीन का खुद डायवर्सन एक निश्चित फीस अदा करके कर सकता था। डायवर्सन की पुरानी धाराएं ही खत्म कर दी गई थी।
दो महीने से चल रही थी माथापच्ची
नई भू-राजस्व संहिता लागू करने की माथापच्ची दो महीनों से चल रही थी। शासन स्तर पर कई बार इसके प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए। दो महीने के बाद 25 सितंबर से प्रदेश में नई नीति लागू की गई, लेकिन इसमें भी आवेदकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शासन की वेबसाइट पर आधे-अधूरे ऑप्शन आ रहे हैं, जो अधिकारियों के भी समझ के परे हैं।
Created On :   3 Oct 2018 1:21 PM IST