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ऊहापोह में फंसी एनआईटी, अब सीएम ही लेंगे निर्णय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व की भाजपा सरकार ने एनआईटी को बर्खास्त करने की घोषणा करने के बाद से एनआईटी के अधिकारी-कर्मचारी वेतन एनआईटी के हेड (मद) से उठाकर काम नागपुर महानगर प्रादेशिक विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) के लिए कर रहे हैं। शहर के विकास व नियोजन की समस्या लेकर पहुंच रहे लोगों को एनआईटी बर्खास्त होने का कारण बताकर लौटाया जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने मुंबई में एनएमआरडीए आयुक्त शीतल उगले व मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे के साथ उच्चस्तरीय बैठक की आैर एनआईटी रहेगी या नहीं, इसका फैसला करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप दी। पिछली सरकार ने 27 अगस्त 2019 को एनआईटी बर्खास्त करने की घोषणा करने के साथ ही इसका विलय मनपा में करने का निर्णय लिया था। विकास व नियोजन की जिम्मेदारी मनपा व शहर से सटे 25 किमी में विकास व नियोजन की जिम्मेदारी एनएमआरडीए को सौंपी थी। एनएमआरडीए के लिए 379 पद मंजूर करने के अलावा पहले चरण में 156 पद भरने का निर्णय लिया था। 6 महीने बाद भी भर्ती नहीं हुई। एनएमआरडीए में जो 300 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे है, वे सभी एनआईटी के हैं। इनको वेतन भी एनआईटी हेड से मिल रहा है।
4 की जगह 9 इंजीनियर
एनएमआरडीए आयुक्त शीतल उगले ने एनएमआरडीए में 4 की जगह 9 सहायक अभियंता व 4 की जगह 7 कार्यकारी अभियंता नियुक्त किए हैं। आयुक्त उगले ने 300 से ज्यादा कर्मचारियों को अतिरिक्त कार्यभार के नाम पर एनएमआरडीए में काम पर लगा दिया है।
लोगों के काम नहीं हो रहे
शहर में विकास, नियोजन व आधारभूत सुविधा संबंधी काम नहीं होने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। जनता की समस्या का समाधान होना चाहिए। मनपा के काम का तरीका सभी को पता है। समस्या लेकर एनआईटी में पहुंच रहे लोगों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। एनएमआरडीए आयुक्त व मनपा आयुक्त के साथ इस मुद्दे पर बैठक की। एनआईटी रहेगी या नहीं इसका फैसला अब सीएम को करना है। मुख्यमंत्री को यह जिम्मेदारी सौंपकर शीघ्र निर्णय होने की उम्मीद है।
- नाना पटोले, विस अध्यक्ष
Created On :   29 Feb 2020 3:55 PM IST