एनआईटी को लगी 1.78 करोड़ की चपत, आईटी काम्पेलक्स निर्माण का मामला

एनआईटी को लगी 1.78 करोड़ की चपत, आईटी काम्पेलक्स निर्माण का मामला
एनआईटी को लगी 1.78 करोड़ की चपत, आईटी काम्पेलक्स निर्माण का मामला

डिजिटल डेस्क,मुंबई। नागपुर सुधार प्रन्यास (एनआईटी) द्वारा शहर के गायत्री नगर में बनाए गए आईटी काम्प्लेक्स के निर्माण में उचित नियोजन न किए जाने के चलते 1 करोड़ 83 लाख रुपए डूब गए हैं। विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश लोकलेखा समिति की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 

इसलिए डूबी रकम
लोकलेखा समिति की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2005 में एनआईटी ने चरणबद्ध तरीके से आईटी काम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2 करोड़ 77 लाख रुपए थी। इमारत का नक्शा और इस्टीमेट तैयार करने के लिए मई 2006 में आर्किटेक की नियुक्ति की गई। आर्किटेक को लागत का तीन फीसदी मेहनताने के तौर पर देना तय हुआ। पहले चरण के काम के लिए जुलाई, 2006 में टेंडर मंगाया गया। जिसमें इमारत का तलघर और पहली मंजिल का निर्माण कार्य शामिल था। नवंबर 2006 में निर्माण कार्य का ठेका 2.88 करोड़ में दे दिया गया। 15 महिने के भीतर निर्माण कार्य पूरा करने की शर्त रखी गई थी। जून 2008 तक ठेकेदार ने 1 करोड़ 78 लाख की लागत का निर्माण कार्य पूरा कर दिया।

चालू ठेका रद्द कर दिया
आर्किटेक का भी 4.86 लाख का भुगतान कर दिया गया। इस बीच एनआईटी को ध्यान आया कि नागपुर शहर को जवाहर लाल नेहरु नगरोद्धान योजना (जेएनएनयूआरएम) में शामिल किया गया है। इसमें सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ाना देना शामिल है। इसके बाद एनआईटी ने अगस्त 2009 में चालू ठेके को रद्द करने का फैसला कर इस परियोजना को ‘बनाओ, स्वीकारो, इस्तेमाल और हस्तांतरण करो’ (डीबीओटी) आधार पर पूरा करने का निर्णय लिया।इस वजह से पहले खर्च 1 करोड़ 78 लाख की रकम डूब गई। समिति ने कहा कि केवल इमारत की बाहरी सुंदरता (इलेवेशन) के लिए ठेकेदार बदला जाना सही नहीं था। समिति ने अपेक्षा व्यक्त की है कि भविष्य में इस तरह की गलती न हो।     
 

Created On :   23 Nov 2018 6:15 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story