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गरीबी रेखा के नियमों में नहीं हुआ बरसों से बदलाव, 26 से 32 रुपए में कर रहे गुजारा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गरीबी रेखा के नियमों में बरसों से बदलाव नहीं होने से BPL धारकों को महज 26 से 32 रुपए में गुजारा करना पड़ रहा है । देखा जाए तो जिले की जनसंख्या 46 लाख 54 हजार हैं। इनमें से 62.3 अर्थात 28 लाख 99 हजार 442 व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने के लिए मजबूर हैं। बढ़ती महंगाई के चलते जहां बाजार में 80 से 100 रुपए में भोजन की थाली उपलब्ध है, वहां महज 26 से 32 रुपए में गुजारा करने वाले जिले के BPL के 2 लाख 55 हजार परिवारों की अवस्था कैसे होगी?
वहीं पूर्व विदर्भ के नागपुर, चंद्रपुर, वर्धा, गड़चिरोली, गोंदिया, भंडारा जिले में रहने वाले 9 लाख 76 हजार परिवार BPL की सूची में शुमार है। महंगाई भले ही बढ़ रही हो, परंतु गरीबी रेखा को लेकर सरकार के पास जो मानक है, उसमें कोई खास बदलाव नहीं किया गया है। BPL सूची में शामिल होने के लिए जो आवेदन भरवाए जाते हैं उसमें आज भी अजीबोगरीब प्रावधान मौजूद है। इन मानकों को देखकर यही कहा जा सकता है कि इसे पढ़कर कोई भी गरीब शरमा जाएं।
125 तहसील अति पिछड़े
राज्य में 125 तहसीलें ऐसी हैं जो अति पिछड़े के दायरे में शामिल हैं। इन तहसीलों के ग्रामीण क्षेत्रों तथा क वर्ग में आने वाली नगर पालिकाओं में महाराष्ट्र मानव विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के सहयोग से गरीबी की समस्या पर लगाम कसने के लिए उपजीविका के मौकों को प्राथमिकता से निर्माण करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए 27 तहसीलों को एक्शन रूम टू रेड्यूस पावर्टी योजना में शामिल किया गया है।
गरीबों की हालत बदतर
सरकार ने बीते अनेक वर्षों से महंगाई बढ़ने के बावजूद गरीबी के मानकों में कोई खास बदलाव नहीं किया है। जिसके कारण BPL सूची में शामिल लोगों के जीवन में बदलाव को लेकर चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी इसका विपरीत असर होने लगा है। चावल 30, दाल 70, शक्कर 36, तेल 80 रुपए किलो से अधिक पर बिक रहा हो और गरीब की मजदूरी प्रतिदिन मात्र 18 रुपए और चार जोड़ी से ज्यादा कपड़े नहीं हाेने की बात BPL के मापदंड कह रहे हो तो इन गरीबों की उपेक्षा होना आम बात बन जाती है।
2 लाख 21 हजार 472 परिवार गरीबी रेखा में
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पिछली बार वर्ष 2011 में BPL का सर्वेक्षण किया गया। इसमें महाराष्ट्र के 1.38 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया गया। इस आधार पर राज्य के 84 लाख परिवारों को BPL दर्शाया गया है। इस दौरान नागपुर जिले में 2 लाख 21 हजार 472 परिवारों को गरीबी रेखा के नीचे दर्शाया गया था।
...तो कोई नहीं होगा BPL
मौजूदा BPL के मापदंडों के अनुसार यदि कठोरता से मूल्यांकन किया जाएं तो बढ़ती महंगाई के इस दौर में कोई भी गरीब परिवार इन मानकों पर खरा नहीं उतर पाएगा। इसके चलते BPL सूची के मानकों को लेकर निर्धारण करने वाली अनेक समितियों की रिपोर्ट मंत्रालय एवं विधायिकाओं में धूल खा रही है। महाराष्ट्र के ग्रामीण में प्रति परिवार की वार्षिक आय यदि 44,000 एवं शहरी क्षेत्र में 59,000 रुपए हो तो उन्हें सरकारी अनाज पाने के लिए योग्य माना जाता है।
क्या कहते हैं BPL के मानक?
BPL के मानकों की सूची में गरीबों के पास एक हेक्टेयर से ज्यादा गैर उपजाऊ या आधा हेक्टेयर से ज्यादा उपजाऊ जमीन नहीं होना चाहिए। उसके पास कच्चा मकान हो या वह बेघर हो। प्रति व्यक्ति के पास 4 जोड़ी से अधिक वस्त्र न हो। अनियमित जलापूर्ति सहित सार्वजनिक शौचालय का उपयोगकर्ता हो। टीवी, पंखा, रसोई गैस, कुकर, रेडियो आदि में से कोई एक हो या कुछ नहीं हो। उसकी शिक्षा प्राथमिक तक ही हो। व्यवसाय में मजदूरी हो। परिवार का कोई व्यक्ति उच्च शिक्षित या व्यावसायिक न हो। फोन नहीं हो। स्वयंचलित वाहन न हो। एक से अधिक गैस सिलेंडर न हो।
रंगराजन समिति का प्रस्ताव लंबित
केंद्र स्तर पर बीते अनेक वर्षों से गरीबी रेखा के मानकों का निर्धारण करने के लिए विविध समितियां बनाई गईं। उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट पर अब तक अमल नहीं किया जा सका। तेंडुलकर समिति द्वारा पेश प्रस्ताव जब विवादों में घिरा तो रंगराजन समिति का गठन किया गया था। इसकी सिफारिशें जहां लागू नहीं हो पाईं, वहीं देश में BPL का सही आंकड़ा भी ज्ञात नहीं हो पाया। शहर में 32 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 26 रुपए से अधिक उत्पन्न वाले व्यक्ति को गरीब मानने के लिए सरकार तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार की योजनाओं को जरूरतमंदों तक सही लाभ पहुंचाने में प्रशासन को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
Created On :   29 Aug 2018 12:41 PM IST