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स्टैण्डिंग कमेटी के अधिकारों को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

डिजिटल डेस्क, नागपुर। NMC की स्टैण्डिंग कमेटी के अधिकारों को लेकर सत्तापक्ष-विपक्ष फिर आसने-सामने दिखा। विपक्ष का आरोप है कि 25 लाख रुपए की लागत से कम के विकास कार्य के लिए स्टैण्डिंग कमेटी से पत्र लेने की जरूरत नहीं है, फिर भी नगरसेवकों को स्टैण्डिंग कमेटी सभापति से इसके लिए पत्र लेना पड़ रहा है। यह अधिकार मनपा आयुक्त का है। 25 लाख रुपए से अधिक के विकास कार्य होने पर सिर्फ प्रशासकीय मान्यता के लिए फाइल स्टैण्डिंग कमेटी सभापति के लिए जानी चाहिए, प्रावधान के लिए नहीं, लेकिन दोनों मामले में स्थायी समिति अड़ंगा बन रही है। बिना स्टैण्डिंग कमेटी की मंजूरी के फाइल आगे नहीं बढ़ती है। इसमें सदस्यों के साथ भेदभाव हो रहा है। यह अधिकार आयुक्त का है। इसे लेकर विपक्षी सदस्यों ने जोरदार नारेबाजी भी की। सत्तापक्ष ने स्टैण्डिंग कमेटी का बचाव करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया बनाने के लिए व्यवस्था की गई है, लेकिन विपक्षी सदस्य, सत्तापक्ष के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने सत्तापक्ष के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सभा त्याग किया।
आयुक्त का करेंगे घेराव
सत्तापक्ष की ओर से वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने कहा कि ‘मैं जब विपक्ष में नगरसेवक था, तो आयुक्त ने मुझे स्टैण्डिंग कमेटी सदस्यों से अधिक निधि दी। इस पर उनकी शिकायत दिल्ली में की गई। इसका सीधा अर्थ है कि निधि वितरण कोई भी करे, आरोप लगना स्वाभाविक है। स्टैण्डिंग कमेटी सभापति को यह अधिकार व्यवस्था बनाने रखने के लिए दिए गए हैं और वह सभागृह का निर्णय है। इस पद्धति को बनाए रखा जाए’। इस पर महापौर नंदा जिचकार ने कहा कि नगरसेवक तिवारी की बात को ध्यान में रखा जाएगा। महापौर की इस भूमिका का विरोध जताते हुए विरोधी पक्ष नेता तानाजी वनवे, नगरसेवक प्रफुल्ल गुड़धे, मनोज सांगोले, नितीन साठवणे, हरीश ग्वालबंशी, संदीप सहारे, रमेश पुणेकर, कमलेश चौधरी ने हंगामा शुरू कर दिया। महापौर मुर्दाबाद के नारे लगाकर सभा से बाहर निकल गए। विपक्ष के नगरसेवकों ने चर्चा के दौरान कहा कि वह 24 दिसंबर को इस विषय को लेकर मनपा आयुक्त का घेराव करेंगे।
विपक्ष हुआ एकजुट
महल स्थित टाउन हॉल में NMC की आम सभा का आयोजन किया गया था। सभा में नगरसेवक कमलेश चौधरी ने प्रश्नकाल में स्टैण्डिंग कमेटी के अधिकार को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि विभिन्न विकास कार्यों के लिए सभापित ने किस-किस मद में 25 लाख रुपए से कम प्रावधान का पत्र दिया। इस सवाल पर संपूर्ण विपक्ष एकजुट होता दिखा और कहा कि 25 लाख रुपए से कम के कार्यों के अधिकार स्टैण्डिंग कमेटी के पास नहीं हैं। फिर भी उनके पत्र के बिना प्रावधान नहीं मिलता है। इसमें भी नगरसेवकों के चेहरे देखकर प्रावधान के पत्र दिए जाते हैं। मामले पर नगरसेवकों ने जमकर हंगामा काटा। मांग करते हुए कहा कि 25 लाख रुपे से कम के अधिकार अधिकारियों को दिए जाएं। नए नगरसेवकों को लगाता है कि वरिष्ठ उनसे ज्यादा निधि ले रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य संदीप सहारे ने आरोप लगाया की सभापति ने खुद के लिए 18 करोड़ रुपए दिए हैं, इस मामले की जांच होनी चाहिए।
Created On :   21 Dec 2018 11:23 AM IST