गंभीर खुलासा - 50% लंग्स कैंसर के मरीज ऐसे जो नॉन स्मोकर्स हैं

Non smokers are suffering from lung cancer the report reveals
गंभीर खुलासा - 50% लंग्स कैंसर के मरीज ऐसे जो नॉन स्मोकर्स हैं
गंभीर खुलासा - 50% लंग्स कैंसर के मरीज ऐसे जो नॉन स्मोकर्स हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सबसे ज्यादा समस्या वाहनों से निकलने वाले धुएं और घरों से निकलने वाले धुएं (इनडाेर स्मोक) से होती है। नागपुर एक महानगर है और यहां पर इंडस्ट्रियलाइजेशन भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। नागपुर शहर में कई ग्रीन एरिया और छोटे-छोटे जंगल है, बावजूद इसके शहर में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है। इसका मुख्य कारण वाहन, इंडस्ट्रिज और फैक्ट्री है। इस पर कई शोध भी हो चुके हैं, जिसमें यह सामने आया कि 55 प्रतिशत वायु प्रदूषण इंडस्ट्री से निकलने वाले और गाड़ियों के धुएं से होती है साथ ही 45 प्रतिशत प्रदूषण घरों से निकलने वाले धुएं से होती है। घरों से निकलने वाले धुएं में सबसे ज्यादा लकड़ी और गोबर से बने हुए कंडों के कारण होती है। आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में इनका उपयोग बहुत ज्यादा होता है। यह बात क्लीन एयर एशिया द्वारा आयोजित पैनल डिस्कशन के दौरान चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ मानस रंजन ने कही। शुक्रवार को क्लीन एयर एशिया द्वारा वर्धा रोड स्थित एक होटल में ‘क्लीन एयर : हेल्दी सिटीज’ सेमिनार का आयोजन हुआ। इस सेमिनार में देश भर से डॉक्टर और पर्यावरणविद जुड़े।

सीएनसीआई कोलकाता के पूर्व निदेशक डॉ मानस रंजन ने कहा कि प्रदूषण का असर आयु के अनुसार होता है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित स्कूल के छात्र हैं। हमारे दिमाग में हमारे शरीर की 50 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है और ऑक्सीजन के साथ प्रदूषित वायु भी हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। इस कारण हमें एक्साइटी, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस जैसी बीमारियां होती हैं। यह बीमारियां सबसे ज्यादा स्कूली छात्रों और वयस्कों को होती है। हमें अक्सर कहा जाता है कि सुबह किसी गार्डन में सैर कर ताजा वायु को इन्हेल करना चाहिए, लेकिन शहरी क्षेत्रों में यह संभव नहीं है। यह समस्या कोलकाता और दिल्ली में सबसे अधिक है।

Created On :   9 March 2019 11:19 AM GMT

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