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चीन की नहीं, भारत की छाईं पिचकारियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले दो साल से कोरोना की मार झेल रहे पिचकारी व्यापारियों के लिए यह साल भी विशेष रहने के आसार नहीं दिख रहे हैं। होली को 6 दिन शेष हैं और अभी से बाजार में पिचकारियों की कमी हो गई है। शार्टेज के कारण इस साल पिचकारियों के दाम में 25 से 30 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। खुशी की बात यह है कि इस साल बाजार में बिकने वाली 99 प्रतिशत पिचकारियां भारतीय फैक्ट्रियों में तैयार की गई हैं। केवल 1 प्रतिशत चीन की पिचकारियां बाजार में दिख रही हैं। क्वालिटी और दाम के मामले में भारतीय पिचकारियां चीनी पिचकारियों को पीछे छोड़ रही हैं। शहर भर में होली के लिए रंग-गुलाल, मुखौटे, पिचकारियों आदि की दुकानें सज गई हैं। बाजार में बच्चों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की पिचकारियां मिल रही हैं। बाजार में लिटल सिंघम, मोटू-पतलू, पेपा पिग, विराट कोहली के कार्टून कैरेक्टर वाली पिचकारियां उपलब्ध हैं।
क्लाउड गुलाल कर रहा आकर्षित : विराग संघवी ने बताया कि इस साल क्लाउड गुलाल काफी आकर्षित कर रहा है। पारंपरिक पिचकारियों के बजाय खिलौने व कार्टून कैरेक्टर वाली पिचकारियों की मांग बढ़ी है। कोरोना के कारण होली का बाजार काफी फीका पड़ गया था, लेकिन इस बार रौनक दिखाई दे रही है। बाजार में क्लाउड गुलाल नाम से एक नया आइटम मिल रहा है, इसकी कीमत 800 से 3000 रुपए के बीच है। क्लाउड गुलाल के माध्यम से गुलाल उड़ाया जाता है।
रंगों की ओर कम हुआ रुझान : थोक व्यापारी शशांक जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में लोगों का रुझान रंगों की ओर कम हुआ है, इसके बदले लोग अब हर्बल गुलाल की डिमांड कर रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह और त्वचा संबंधी बीमारियों से बचने के लिए लोग अब रंग खेलने से बचने लगे हैं। बाजार में गुलाल में भी तरह-तरह की वेरायटी है, जिनमें फ्रूट गुलाल काफी पसंद किए जा रहे हैं। फ्रूट गुलाल में विविध फ्लेवर उपलब्ध हैं।
Created On :   12 March 2022 3:31 PM IST