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भू-माफिया को रंगदारी दिए बगैर यहां नहीं हो सकता कोई काम ! राजस्व और पुलिस की मिलीभगत

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। जिले में सीकेडी यानी कोयला, कबाड़ और डीजल माफिया से तो सभी परिचित हैं लेकिन भू-माफिया भी इनसे कम सक्रिय नहीं है। जहां कहीं भी विस्थापन होना होता है, भू-माफिया पहले ही सक्रिय हो जाता है। अब तो भू-माफिया शहरी क्षेत्र की जमीनों की रंगदारी वसूल रहा है। विंध्यनगर थाना क्षेत्र का ढ़ोटी क्षेत्र हो अथवा वैढऩ थाना क्षेत्र का गनियारी व बलियरी क्षेत्र, भू-माफिया के कब्जे में है। यहां आपको जमीन खरीदनी है तो भू-माफिया की परमिशन लेनी पड़ेगी, बिना परमिशन खरीद ली है तो भी रंगदारी के बाद ही निर्माण शुरू हो सकेगा। जो रंगदारी नहीं देता है उसकी जमीन के सामने अथवा उसकी जमीन में कोई न कोई स्थानीय दबंग खड़ा हो जायेगा। इस काम में माफिया का सहयोग कहीं न कहीं राजस्व अमला व पुलिस भी करती है। तभी तो वर्षों से जमीन खरीदने वाले तमाम लोग भटक रहे हैं। एक ऐसा ही मामला श्याम सुंदर गुप्ता पिता स्व. गुरूदीत्तमल गुप्ता निवासी एचआईजी 20 नवजीवन विहार का है। उन्होंने अगस्त 2016 में ढोंटी में बिना भू-माफिया की परमिशन के जमीन खरीद ली। तीन तरफ से प्लाट में बाउंड्री थी, सामने की तरफ शासन की जमीन खाली पड़ी थी। उसके बाद सडक़ बनी है। इतने साफ-सुथरे प्लाट के बावजूद भू-माफिया को रंगदारी न देना उन्हें महंगा पड़ गया। आज तक तहसील में मामला चल रहा है क्योंकि उनके आगे माफिया के गुर्गों ने ईंट व टीन का टपरा खड़ा कर दिया। जिसके बाद बेचारे गुप्ता जी थाना-पुलिस के चक्कर लगा रहे हैं। तहसील में पेशी निपटा रहे हैं और माफिया एक भी पेशी पर नहीं जाता। अब जब तक माफिया संतुष्ट नहीं होगा तब तक मामला चलेगा।
कैसे उत्पन्न हुआ विवाद?
श्री गुप्ता ने बताया कि उन्होंने प्लाट खरीदा, तब तक किसी प्रकार का विवाद नहीं था। रजिस्ट्री के करीब 4-5 महीने बाद यानी 2017 के शुरूआती महीने में कुछ स्थानीय लोगों ने शासन की खाली पड़ी जमीन को अपना बताते हुए उस पर ईंट-गिट्टी उतरवानी शुरू कर दी। उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस, तहसीलदार को दी। तहसीलदार ने स्टे जारी कर दिया। उसके बावजूद दबंगों ने शासकीय भूमि पर टपरे का निर्माण कर लिया। जिससे इनके प्लाट के आवागमन का रास्ता ही बंद हो गया। श्री गुप्ता ने जो हो सकता था वह सभी कानूनी रास्ते अपनाये, लेकिन उन्हें कोई भी राहत नहीं मिली। आज भी वह परेशान हैं, उन्होंने तो यहां तक ऑफर दे दिया है कि हमें हमारा पैसा दिला दो और प्लाट ले जाओ। हमें ब्याज भी नहीं चाहिये।
मिलीभगत से करते हैं कमाई
आदमी अपने जीवन भर पूंजी लगाकर एक प्लाट खरीद पाता है, उसकी सोच यह रहती है कि लोन लेकर वह मकान बनवा लेगा ताकि बाकी का जीवन शांति से गुजर सके। लेकिन माफिया की नजर पड़ते ही उसके प्लान का बंटाढ़ार हो जाता है। तहसील-पुलिस सभी के चक्कर लगाने के बावजूद जब उसे न्याय नहीं मिलता तो वह माफिया की शरण में चला जाता है। फिर माफिया जो जुर्माना लगाता है भुगतना उसकी मजबूरी हो जाती है। इस खेल में सबका हिस्सा फिक्स होता है। जो भी रंगदारी मिलती है उसमें कई हिस्से लगते हैं और इन हिस्सों के हिसाब से सबकी जिम्मेदारी फिक्स हो जाती है। सभी पूरी ईमानदारी से अपना-अपना दायित्व निर्वाह करते हैं और खून-पसीने की कमाई में बंदरबांट करके जश्न मनाते हैं।
Created On :   12 Feb 2018 2:25 PM IST