राज्य के महाधिवक्ता को नोटिस

Notice to the Advocate General of the State
राज्य के महाधिवक्ता को नोटिस
जाति प्रमाणपत्र जांच समिति मामला राज्य के महाधिवक्ता को नोटिस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जाति प्रमाणपत्र जांच समिति का दाखिला अवैध साबित होने पर हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता कुंभकोणी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह में जवाब देने का आदेश जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे आैर अनिल पानसरे की खंडपीठ ने दिया है। 

क्या है मामला 
लताबेन धार्मिक, परेश कुमार धार्मिक और स्मिता धार्मिक ने याचिका दायर की है। तीनों याचिकाकर्ता एक ही परिवार के सदस्य हैं। सन 1987 में याचिकाकर्ता खाद्य निगम में नौकरी पर नियुक्त हुए थे। वर्तमान में मैनेजर के रूप में कार्यरत है। जाति प्रमाणपत्र जांच समिति ने 7 नवंबर 2021 को आदिवासी प्रवर्ग में हलबा जाति को अवैध माना है। समिति के निर्णय को उच्च न्यायालय में अधिवक्ता शैलेश नारनवरे ने चुनौती दी। न्यायालय ने 29 नवंबर को तीनों याचिकाकर्ताओं को अस्थायी राहत दी है।

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि केंद्र सरकार के अधीन होने से महाराष्ट्र सरकार के जाति प्रमाणपत्र अधिनियम में 2000 में अपवाद साबित होते हैं। इस नियमावली से संविधान की धारा 14 , 245 , 246 और 309 से केन्द्रीकृत सूची का भी उल्लंघन होता है। जाति प्रमाणपत्र जांच नियम राज्य सरकार ने लागू किया है। समिति को केंद्रीय कर्मचारियों के प्रमाणपत्र जांच का अधिकार नहीं है। मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने भी सन 2018 में  याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता को राहत दी थी। ऐसे में सभी याचिका की एक साथ सुनवाई का निर्देश देते हुए नागपुर खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता कुंभकोणी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह में पक्ष रखने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधि. शैलेश नारनवरे ने पैरवी की।


 

Created On :   3 Dec 2021 6:06 PM IST

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