कुख्यात शिकारी दया के पात्र नहीं, भुगतनी होगी सजा

Notorious hunters are not eligible for mercy, will suffer punishment
कुख्यात शिकारी दया के पात्र नहीं, भुगतनी होगी सजा
कुख्यात शिकारी दया के पात्र नहीं, भुगतनी होगी सजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने बाघ के शिकारी के रूप में कुख्यात राहुल छहालाल पारधी (33, निवासी बिरुली, जि.कटनी, मध्यप्रदेश) पर कोई भी दया दिखाने से इनकार किया है। वांटेड अपराधी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला पारधी मध्य भारत में कुख्यात बाघ शिकारियों की टोली का अहम हिस्सा है। सरकारी पक्ष के अनुसार, वह बाघों के कुख्यात शिकारी संसार चंद का चेला भी रहा है। बाघ का शिकार करके वह नाखून, दांत और खाल की तस्करी करता था। भंडारा और गड़चिरोली की निचली अदालतों ने उसे तीन अलग अलग मामलों में दोषी मान कर कुल 9 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

सभी पक्षों को सुनकर न्या.सुनील शुक्रे और न्या.पुष्पा गनेडीवाला ने याचिकाकर्ता पर कोई भी दया दिखाने से साफ इनकार किया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि बाघ के शिकार के मामलों में गंभीरता बरतनी जानी चाहिए, क्योंकि किसी इंसान की हत्या का मामला तो तुरंत पकड़ में आ जाता है, लेकिन जंगली जानवरों के शिकार के मामले जल्दी पकड़ में नहीं आते। कोर्ट ने यह भी माना कि चाहे आरोपी सिर्फ तीन मामलों में सजा काट रहा हो, लेकिन अपने पूरे जीवनकाल में न जाने उसने कितने बाघों का शिकार किया होगा। ऐसे आरोपी पर कोई भी दया बरतना ठीक नहीं होगा।

वांटेड अपराधी था
मामले में सरकारी पक्ष ने आरोपी की करतूत उजागर करते हुए कोर्ट को बताया कि यह आदतन अपराधी है और उसके खिलाफ कई बार मामले दर्ज हुए है। अपराध का क्षेत्र महाराष्ट्र का वन क्षेत्र ही नहीं, बल्कि सीमावर्ती मध्यप्रदेश भी है। लगातार होने वाले बाघ के शिकार के चलते ही देश में बाघों की संख्या लगातार कम हो रही है। निचली अदालत में चल रही सुनवाई के दौरान जब आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, तब वह फरार भी हो गया था। उस पर 1 लाख रुपए का इनाम जारी किया गया था। करीब एक साल बाद वह पकड़ा गया। इस प्रकरण की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन ने की थी। 

शिकारी की सारी दलील बेकार
इस प्रकरण में आरोपी ने करीब 6 वर्ष की सजा काट ली है। उसके बचाव में उसके वकील एम.एनअली ने कोर्ट में दलील दी थी कि आरोपी की कम उम्र और भविष्य को देखते हुए शेष सजा माफ की जानी चाहिए, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि दोषी एक प्रोफेशनल शिकारी है। उस पर अपराध सिद्ध हो चुके हैं। ऐसे में उसे पूरी सजा काटना ही बेहतर है। जेल में सजा काटते हुए याचिकाकर्ता यह सोचे कि अपराध का रास्ता कोई कायम जीवन नहीं है। उसके लिए स्वयं को बदलना ही बेहतर होगा। इस प्रकरण में सरकार की ओर से सरकारी वकील एम.के.पठान ने पक्ष रखा।

Created On :   6 Jan 2021 4:23 PM IST

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