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अब मेलघाट के जंगलों में भी जल्द देखे जा सकेंगे चीते

डिजिटल डेस्क, अमरावती। मेलघाट के जंगलों में जल्द ही बिग कैट चीते के दर्शन हो सकते हैं। इस संबंध में जलवायु परिवर्तन व राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण धारणी व चिखलदरा का सर्वेक्षण करेंगे। बढ़ती मानव संख्या और लगातार शिकार के कारण बड़ी बिल्लियों की संख्या लगातार सीमित होती जा रही है। इन बड़ी बिल्लियों की दूसरी सबसे अहम प्रजाति चीतों की मानी जाती है। 1952 में भारत में आखरी बार चीते की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इसके बाद चीते को भारत में पूरी तरह से विलुप्त घोषित कर दिया गया, लेकिन जलवायु परिवर्तन विभाग तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा हाल ही में शुरू की गई योजना से देश में एक बार फिर चीतों के पुर्नस्थापित हाेने की संभावना बढ़ गई है। योजना के तहत जिले के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को भी चितों की जीवनशैली के लिए उपयुक्त माना गया है। जल्द ही दोनों विभागों द्वारा यहां की स्थितियों का सर्वेक्षण कर प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी देने की संभावना है। केंद्रीय पर्यावरण कार्यालय तथा जलवायु परिवर्तन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगले कुछ वर्षों में 25 जोड़े चीते भारत में लाए जाने हैं। गत वर्ष सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामिबिया से अफ्रीकी चीतों को भारत में लाने के प्रस्ताव से प्रतिबंध हटा दिया गया था। बड़े मांसाहारी जानवरों को पुन: स्थापित करने की योजना को विलुप्त होती प्रजाति के संरक्षण और ईको सिस्टम को बहाल करने के लक्ष्य के तौर पर देखा जा रहा है। योजना के तहत अमरावती के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में भी तीन जोड़े चीते उपलब्ध कराए जाने की जानकारी है। इसके लिए मेलघाट में चीतों के रहने के लिए अनुकूल मैदानी घास व घने जंगल जैसे इलाकों को उपयुक्त माना गया है।
इन जंगलों का समावेश
जिन वन्य क्षेत्रों में चीतों को पुनर्स्थापित किया जाना है। उनमें मेलघाट के साथ शिवालिक पहाड़ियां, पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, संुदरबन और सतपुड़ा के जंगल शामिल हैं।
भारतीय वन्यजीव संस्थान से ली जाएगी सहायता
मेलघाट के जंगलों में चीतों के लिए उपयुक्त स्थिति उपलब्ध कराने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान से सहायता ली जाएगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा पहले चरण में 12 चीतों का पुन: स्थानांतरण किया जाना है।
इस वक्त केवल ईरान में मौजूद हैं भारतीय चीते
भारतीय बड़ी बिल्लियों की प्रजातियों में प्रमुख स्थान रखने वाले भारतीय चीते इस वक्त केवल ईरान में मौजूद हैं। इरान में इनकी घटती संख्या को देखते हुए इरान सरकार ने भारतीय चीतों के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। इसी कारण अफ्रीकी चीतों को यहां लाने का प्रयास किया जा रहा है।
उपयुक्त है मेलघाट के जंगल
भारतीय वन्यजीव प्राधिकरण के अनुसार अफ्रीकी चीतों को अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए मेलघाट के जंगल उपयुक्त हंै। ऐसे में पहले चरण के दौरान यहां 6 चीतें जिनमेंं तीन नर और तीन मादा शामिल हैं, कोे लाए जाने की संभावना है।
- महेश भुसारी, भारतीय वन्यजीव प्राधिकरण
Created On :   26 Feb 2022 8:21 PM IST