अब सिकलसेल ने पसारे पांव एक वर्ष में मिले 2,632 मरीज

Now sickle cell has spread its wings, got 2,632 patients in a year
अब सिकलसेल ने पसारे पांव एक वर्ष में मिले 2,632 मरीज
सिकलसेल नियंत्रण मुहिम शुरू अब सिकलसेल ने पसारे पांव एक वर्ष में मिले 2,632 मरीज

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल और अितपिछड़े गड़चिरोली जिले में जिस तरह कुपोषण, माता मृत्यु और बाल मृत्यु का प्रमाण कम होने का नाम नहीं ले रहा है, ठीक उसी तरह अब सिकलसेल मरीजों की संख्या भी तीव्र गति से बढ़ने लगी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, गड़चिरोली जिले में पिछले एक वर्ष की कालावधि में 2 हजार 632 मरीज सिकलसेल से बाधित पाए गए हैं। वहीं विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में जिले के 35 हजार 27 मरीज सिकलसेल के वाहक पाए गए हैं। जिसे  वैद्यकीय भाषा में ए.एस. के नाम से जाना जाता हैं। ऐसे मरीजों को किसी तरह के लक्षण नहीं होते और न ही इन मरीजों को किसी उपचार की जरूरत होती है, लेकिन सिलक रोगी यानी एस. एस. मरीजों में सिकलसेल के लक्षण आसानी से पाए जाते हैं। इन मरीजों को निरंतर उपचार की आवश्यकता होती है। जिले में सिकलसेल का प्रमाण कम करने के साथ ही लोगों में जनजागृति और सिकलसेल से ग्रस्त मरीजों पर उपचार कराने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने 11 दिसंबर से सिकलसेल नियंत्रण मुहिम चलाने का निर्णय लिया है। निर्णय के तहत स्वास्थ्य कर्मी गांव-गांव पहुंचकर सिकलसेल मरीजों की तलाश  कर उन्हें उचित मार्गदर्शन और उपचार करेंगे। 

सिकलसेल खून से जुड़ी बीमारी है, जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं को प्रभावित करती है और यह आम तौर पर माता-पिता से बच्चों में वंशानुगत मिलती है। आम तौर पर लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन होता है, लेकिन जिन लोगों को सिकलसेल बीमारी होती है, उनकी लाल रक्त कोशिकाओं में ज्यादातर हीमोग्लोबिन एस होता है जो कि हीमोग्लोबिन का असामान्य प्रकार है। इस कारण लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है और वे सिकल शेप (अर्धचन्द्राकार आकार) के बन जाते हैं। चूंकि सिकल के आकार वाली ये लाल रक्त कोशिकाएं छोटी-छोटी रक्त धमनियों से गुजर नहीं पातीं इसलिए शरीर के उन हिस्सों में बेहद कम खून पहुंचता है। जब शरीर के किसी हिस्से तक सामान्य खून नहीं पहुंचता तो वह हिस्सा क्षतिग्रस्त होने लगता है।    गड़चिरोली जिले के ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां अज्ञानता और अंधविश्वास भी काफी बढ़ गया है। ऐसे में सिकलसेल से पीड़ित मरीजों पर वैद्यकीय इलाज करने के बजाय परिवार के सदस्य मरीज का तांत्रिकों से उपचार कराते हैं। इसी कारण जिले में सिकलसेल मरीजों पर प्रभावी इलाज नहीं हो पा रहा है। इसी अंधद्धा को दूर करने और पीड़ित मरीजों पर प्रभावी इलाज कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सिकलसेल नियंत्रण मुहिम चलाने का फैसला लिया है। रविवार, 11 दिसंबर से मुहिम समूचे जिले में शुरू होगी। मुहिम का अधिकाधिक संख्या में लाभ उठाने का आह्वान जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. दावल सालवे और जिला शल्य चिकित्सक डा. अनिल रूडे ने किया है। 

Created On :   11 Dec 2022 2:33 PM IST

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