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अब जंगली श्वानों - सियारों को लगेगी वैक्सीन

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जंगल के संतुलन कोब नाए रखने के लिए वहां के जंगली जानवरों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है। लिहाजा राज्य का वन विभाग इन वन्यजीवों की रैबीज से सुरक्षा को लेकर खासा मुस्तैद नजर आ रहा है। अमरावती जिले के हरिसाल वन्यक्षेत्रों में गत वर्ष नवंबर माह में 3 जंगली सुअरों के साथ ही दो सियारों में घातक रैबिज की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद वन महकमें में हड़कंप मच गया था और कई आवारा श्वानों के साथ ही हिरण व नीलगाय जैसे प्राणियों की रैबिज को लेकर जांच की गई थी। उस समय कुल 6 वन्यप्राणियों को रैबिजग्रस्त पाया गया था। जिसके बाद इन प्राणियों को वन विभाग ने सुरक्षा में लेकर इनका उपचार कराया।
शिकारी प्रवृत्ति के जानवरों में रैबिज की मौजूदगी को देखते हुए बड़े शिकारी प्राणियों में भी रैबिज पाने का खतरा बढ़ गया है। आवारा श्वान अक्सर हिरण व नीलगाय जैसे प्राणियों को अपने हमले का निशाना बनाते हैं। इनके माध्यम से हिरण के झुंड में रैबिज फैलने का खतरा अधिक है। जबकि हिरण का शिकार तेंदुओं व बाघों द्वारा किया जाता है, ऐसी स्थिति में मेलघाट क्षेत्र में जंगली जानवरों की सुरक्षा एक गंभीर मासला बनकर उभरा है। नवंबर 2021 में स्थानीय वन विभाग की ओर से राज्य वन विभाग को पत्र लिखकर कहा गया था कि मेलघाट वन्यक्षेत्र में मौजूद करीब 30 हजार जंगली श्वानों व लगभग इतनी ही संख्या में मौजूद जंगली सुअरों तथा सियारों को रैबिज के इंजेक्शन देने की आवश्यकता है। ऐसा न होने की स्थिति में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिसके बाद हाल ही में वन मंत्रालय द्वारा इस मांग को मंजूरी दे दी गई है। अप्रैल से ही संबंधित वन्यप्राणियों को रैबिज के इंजेक्शन देने की मुहिम शुरू की जाएगी।
Created On :   21 March 2022 3:59 PM IST