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बच्चों को निर्वस्त्र कर घुमाने वाले आरोपी भाइयों को जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक का यह दायित्व है कि वह अनुसूचित जाति व जनजाति के समुदाय से जुड़े लोगों के आत्मसम्मान का संरक्षण करे। दुकान से खाने की चीज चुराने के चलते दो दलित लड़कों की पिटाई व नंगा घुमाने तथा उनका वीडियो वायरल करने के मामले से जुड़े दो आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने यह बात कही है। जस्टिस एएम बदर ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह के अपराध न सिर्फ अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय में हीन भावना फैलाते हैं बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डालते हैं।
पुलिस ने इस मामले में इरफान पठान व सलीम पठान नाम के दो भाइयों के खिलाफ पास्को व एट्रासिटी कानून के तहत मामला दर्ज किया था। कल्याण कोर्ट ने इन दोनों को जमानत देने से इंकार कर दिया था। लिहाजा दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील में दोनों ने दावा किया था कि इस प्रकरण में उनके पिता को जमानत मिल चुकी है इसलिए उन्हें भी जमानत दी जाए। इसके अलावा दोनों भाइयों ने कहा था कि वे 17 महीने से जेल में बंद हैं, अब तक उनके मुकदमे की शुरुआत भी नहीं हुई है इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
मामले से जुड़े आरोपपत्र पर गौर करने के बाद जस्टिस बदर ने कहा कि आरोपियों ने बच्चों को काफी बुरी तरह से प्रताड़ित किया है। इससे न सिर्फ बच्चों को गहरा मानसिक आघात लगा है बल्कि इस घटना का उनके पूरे जीवन पर इसका असर पड़ेगा। ऐसे में यदि मामले से जुड़े आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वे प्रकरण से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड करेंगे। जस्टिस ने कहा कि आरोपी फिलहाल जमानत पाने के हकदार नहीं है। हमे निचली अदालत द्वारा आरोपियों को जमानत न देने के आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती है। यह कहते जस्टिस दोनों भाइयों के जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
Created On :   27 Oct 2018 5:18 PM IST