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निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड आरक्षित करने नियुक्त होंगे अधिकारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई के निजी अस्पतालों में 80 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करने के सरकार के फैसले को कड़ाई से लागू कराने के लिए सभी अस्पतालों में मनपा अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में कोरोना की स्थिति की समीक्षा हुई।
महाराष्ट्र में मृत्युदर घटा
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डा प्रदीप व्यास ने बताया कि देश के कुल कोरोना रोगियों में से 35.23 प्रतिशत संक्रमित महाराष्ट्र के हैं।महाराष्ट्र में मृत्यु दर 3.37 प्रतिशत है जबकि देश में यह औसत 2.82 फीसदी है। उन्होंने बताया कि दुनिया में प्रति दस लाख में 778 लोगों की कोरोना से मौत हो रही है जबकि महाराष्ट्र में यह औसत 48 है। महाराष्ट्र की तुलना में गुजरात में मृत्यु दर 6.18 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल में 5.6 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 4.32 प्रतिशत है।
महाराष्ट्र में पहले मृत्यु दर 7.5 प्रतिशत था जो अब घट कर 3.37 प्रतिशत हो गया है। कोरोना की वजह से जान गंवाने वालों में 32 प्रतिशत मरीज किसी और बीमारी से पीड़ित नहीं थे। जबकि 67 प्रतिशत लोग दूसरी बीमारियों से ग्रसित थे। महाराष्ट्र में अभी तक 4.5 लाख टेस्ट हुए हैं। केवल आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु टेस्ट में महाराष्ट्र से आगे हैं। पहले राज्य में टेस्ट के बाद 18 प्रतिशत पॉजिटिव मिलते थे जो अब घट कर 15.5 प्रतिशत हो गया है। डा व्यास ने बताया कि फिलहाल राज्य में 1400 लोग गंभीर हैं।
महाराष्ट्र में 35.23 प्रतिशत कोरोना संक्रमित
इस दौरान मुंबई मनपा आयुक्त आईएस चहल ने बताया कि मुंबई में 3750 डाक्टर कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं। फिलहाल मुंबई में कोरोना के 21 हजार एक्टिव रोगी हैं।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।