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कभी मध्य प्रदेश लेजिस्लेटिव काउंसिल रही इमारत अब हो रही है खोखली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विभागीय कार्यालय और पुराना सचिवालय करीब 102 वर्ष पूर्व 1916 में मध्य प्रदेश लेजिस्लेटिव काउंसिल की इमारत हुआ करती थी। पुरातन एवं ऐतिहासिक इमारत के रूप में इसकी सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन इमारत के ईद-गिर्द अव्यवस्था के कारण अब इसकी नींव खोखली हो रही है। दूषित जल निकासी की व्यवस्था बदहाल होने के कारण पानी का रिसाव नींव के भीतर पहुंच रहा है। इमारत में जहां-तहां कील ठोंककर बोर्ड टांगे जा रहे हैं। इमारत से सटकर जर्जर वाहनों का ढेर लगाया जा चुका है। अनावश्यक झाड़ियां इस इमारत की दीवारों की दरारों में अपनी जगह मजबूत कर बेसाल्ट के पत्थरों को कमजोर कर रही हैं। बदहाली का यह आलम ऐतिहासिक इमारत को जर्जर करने की ओर धकेल रहा है। बावजूद विभागीय आयुक्त कार्यालय प्रशासन कोई दखल लेने को तैयार नहीं है।
पुराना सचिवालय के नाम से जानी जाती इमारत
फिलहाल इस इमारत को पुराना सचिवालय के नाम से पहचाना जाता है। यह अष्टकोण आकार में द्वि-मंजिला इमारत है। इसकी नींव का क्षेत्रफल 8122.76 वर्ग मीटर है। इमारत की बाहरी दीवारों के निर्माण के लिए काले रंग के बेसाल्ट एवं पीले रंग के सेंड स्टोन का उपयोग किया गया है। इन विशाल पत्थरों से बनी दीवारों पर अनेक स्थानों पर सुंदर कलाकृतियां उकेरी गई हैं। अंदरूनी दीवारों का निर्माण चूना मिश्रित ईंटों की जुड़ाई से तैयार किया गया है। इस इमारत के प्रथम मंजिल की छत ट्रॅफोर्ड एसबेस्टस शीट से तैयार की गई है। बेसमेंट के लिए मद्रास पैटर्न आर्च की छत का उपयोग किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस इमारत का निर्माण उन दिनों केवल 10 लाख 80 हजार 33 रुपए में किया गया था। बहरहाल इस इमारत में आयुक्त कार्यालय समेत विभागीय स्तर के 20 कार्यालय कार्यरत हैं।
सीपी एंड बेरार की यादें
वर्ष 1961 में सागर नर्मदा टेरीटरीज और छत्तीसगढ़ प्रदेश मिलाकर प्रांत तैयार किया गया था। इस नए प्रांत का प्रमुख अधिकारी अंग्रेजों के शासनकाल का चीफ कमिश्नर था। वर्ष 1903 में निजाम की ओर से वर्हाड प्रांत को विभक्त कर इस प्रदेश में शामिल किया गया था। मध्य प्रांत एवं वर्हाड (सीपी एंड बेरार) नाम दिया गया था। यही नाम वर्ष 1947 तक प्रचलन में था। 8 नवंबर 1993 को मध्यप्रदेश लेजिस्लेटिव काउंसिल का निर्माण किया गया। इसके लिए सचिवालय इमारत का निर्माण कार्य शुरू हुआ। 1910 से 1916 के बीच भव्य निर्माण किया गया।
अधीक्षक अभियंता कक्ष के पीछे शराब की बोतलें
विभागीय कार्यालय के अधीक्षक अभियंता के कक्ष के ठीक पीछे वाले बरामदे के नीचे में शराब की खाली बोतलें पड़ी नजर आ रही हैं। सीसीटीवी एवं सुरक्षा से संबंधित अनेक संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद यहां की बदहाली प्रशासन की कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है।
Created On :   11 Feb 2018 4:33 PM IST