राष्ट्रपति से सम्मानित बहादुर वृद्ध का जिला अस्पताल में हो रहा अपमान

old freedom fighter honored by president is facing trouble in government hospital
राष्ट्रपति से सम्मानित बहादुर वृद्ध का जिला अस्पताल में हो रहा अपमान
राष्ट्रपति से सम्मानित बहादुर वृद्ध का जिला अस्पताल में हो रहा अपमान

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। आजादी से लेकर 1980 तक संपूर्ण बुंदेलखंड दस्यु प्रभावित रहा है। सन 1966 में गढ़ीमलहरा थाना क्षेत्र गोर गांव में डकैतों ने हमला बोल दिया। इस गांव के तीन युवा तख्त सिंह, हुकुम सिंह और गंभीर सिंह ने इन डकैतों का खुलकर सामना किया। इसमें तख्त सिंह और गंभीर सिंह शहीद हो गए। हुकुम सिंह घायल हो गए। डकैतों को भागना पड़ा। इन तीनों भाईयों के शौर्य की चर्चा पूरे देश में हुई। तत्कालीन राष्ट्रपति ने हुकुम सिंह को दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया। पिछले 50 साल से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में लाल किले में हुकुम सिंह को हर साल आमंत्रित किया जाता है। गोर निवासी हुकुम सिंह को वर्ष 1967 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन द्वारा बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया था। इधर बीमार होने पर जिला अस्पताल में इनके साथ जो दुव्र्यवहार किया जा रहा है वह बेहद शर्मसार करने वाला है। गंभीर रूप से बीमार हुकुम सिंह इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती हैं। इन्हें लेटने के लिए पलंग तो बहुत दूर की बात है एक चारद तक नहीं दी गई है। गैलरी में पड़ा बुंदेलखंडका यह वीर योद्धा जिल्लत और परेशानी के बीच अपना इलाज करा रहा है।

ये कैसा जिला अस्पताल
 गढ़ीमलहरा के गोर गांव निवासी हुकुम सिंह पिता देवी सिंह (82) बीमार हैं। इनके परिजन इन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल ले आए। यहां डॉक्टरों ने इन्हें भर्ती कर लिया, लेकिन इन्हें न तो कोई वार्ड तय किया गया और न ही पलंग दिया गया। यहां तक कि जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा इन्हें एक चादर तक नहीं दी गई। चूंकि परिजन इन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए थे इस कारण अंदेशा नहीं था कि भर्ती हो जाएंगे, ऐसे में वे भी घर से चादर लेकर नहीं आए। इस कारण वृद्ध हुकुम सिंह को जमीन पर लिटा दिया गया। उन्हें ट्रोमा वार्ड के निकट गैलरी में जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है। डकैतों से लोहा लेने, समाज की सुरक्षा  के लिए अपने दो जवान भाई खोने वाले हुकुम सिंह को जिला अस्पताल प्रबंधन की इस तरह मनमानी का शिकार होना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।

इनका कहना है
इस समय मौसमी बीमारियों के मरीज अधिक आने से मरीजों की संख्या अधिक है। इस कारण हो मरीजों को सुविधाएं मुहैया करना मुश्किल हो रहा है। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि इस तरह के कोई बुजुर्ग जमीन पर पड़े हैं और इलाजरत हैं। - डॉ. आरपी पांडेय, सिविल सर्जन

 

Created On :   29 Sept 2018 2:28 PM IST

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