शिक्षा विभाग में भारी अनियमितता पर कोर्ट की फटकार, शिक्षकों की नियुक्ति मामले में संस्थाओं पर भी गाज

On the issue of illegal recruitment the Bombay High Court has adopted a tough stance
शिक्षा विभाग में भारी अनियमितता पर कोर्ट की फटकार, शिक्षकों की नियुक्ति मामले में संस्थाओं पर भी गाज
शिक्षा विभाग में भारी अनियमितता पर कोर्ट की फटकार, शिक्षकों की नियुक्ति मामले में संस्थाओं पर भी गाज

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा 700 से अधिक शिक्षक और गैर शिक्षक पदों पर अवैध भर्ती करने के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए हैं कि वे अवैध नियुक्तियों में शामिल किसी एक शिक्षाधिकारी पर सारा ठीकरा न फोड़ें, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा शिक्षा संस्थाओं की लिप्तता की भी जांच कर के दोषियों पर कार्रवाई करें। हाईकोर्ट ने प्रधान सचिव को दो सप्ताह में इस पर विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा है। बता दें कि हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वयं सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इसी संबंध में कोर्ट के नोटिस पर शिक्षा आयुक्त द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में नियुक्तियों में अनियमितता की बात कबूल कर शिक्षाधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया है, जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुछ चुनिंदा अधिकारियों को बलि का बकरा न बना कर मामले की गहन पड़ताल की जाए।

इन्हें बनाया गया प्रतिवादी
विजय गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका में माध्यमिक शिक्षा विभाग सचिव, शिक्षा संचालक, सह संचालक राजेंद्र गोधाने, जिप मुख्याधिकारी, नागपुर शिक्षा उपसंचालक, माध्यमिक शिक्षाधिकारी, पे-यूनिट अधीक्षक के अलावा माध्यमिक शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारी नरगुशा ठमके, आेमप्रकाश गुढ़े, मनोहर बारस्कर और सतीश मेंढे को निजी रूप से प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की प्रार्थना की है। गुप्ता की ओर से एड.अमित भाटे ने पक्ष रखा। साथ ही अन्य शिक्षकों की ओर से एड. आनंद परचुरे ने पक्ष रखा।

434 नियुक्तियों की फाइलें कर दी गायब
याचिकाकर्ता के अनुसार नागपुर जिला माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बड़े पैमाने पर अनुदानित स्कूलों मंे 700 शिक्षकों व अन्य स्टाफ की अवैध तरीके से नियुक्तियां की हैं, जबकि वर्ष 2012 में जीआर जारी करके राज्य सरकार ने स्कूलों मंे नई नियुक्तियों पर तब तक प्रतिबंध लगा दिया था, जब तक नागपुर के 500 अतिरिक्त शिक्षकों और 600 गैर शिक्षक कर्मचारियों का समायोजन पूरा नहीं हो जाता। इसके बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अवैध तौर पर नई नियुक्तियों को मंजूरी दी, जिससे सरकारी तिजोरी को बड़ा नुकसान हुआ। याचिकाकर्ता के अनुसार माध्यमिक शिक्षा विभाग के अप्रूवल रजिस्टर मंे केवल 341 नियुक्तियों को मंजूरी देने का जिक्र किया गया है, जबकि 700 लोगों की नियुक्तियां की गई हैं। जिला परिषद मुख्याधिकारी द्वार गठित जांच समिति मंे पता चला कि 1 अप्रैल 2012 से 30 अक्टूबर 2016 के बीच हुई 434 नियुक्तियों की फाइलें ही शिक्षा विभाग के कार्यालय से गायब कर दी गई हैं। इस याचिका मंे हाईकोर्ट से मामले की सीबीआई जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

Created On :   16 Oct 2018 7:47 AM GMT

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