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गुरुवार को मौनी अमावस्या, मौन रहकर दान-पुण्य व पूजा-पाठ की परंपरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गुरुवार को माघ मास की अमावस्या है और माह का कृष्ण पक्ष खत्म होगा। इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर मौन रहकर दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अमावस्या पर किसी तीर्थ में दर्शन करना चाहिए। किसी पवित्र नदी में स्नान करें और दान-पुण्य करें।
गुप्त नवरात्र 12 से
अमावस्या के बाद शुक्रवार, 12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि शुरू हो जाएगी। इस नवरात्रि में गुप्त साधना की जाती है। इस दिन से माघ मास का शुक्ल पक्ष शुरू हो रहा है। इन दिनों में देवी मां के साथ ही भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा जरूर करें।
पितरों के लिए नदी में तर्पण करें
अमावस्या पर पितरों के लिए दान-पुण्य और धूप-ध्यान करें। किसी नदी में तर्पण आदि शुभ कर्म करें। जरूरतमंद लोगों को और किसी मंदिर में धन का और अनाज का दान करें। गौशाला में हरी घास और धन दान करें।
शिवलिंग का जलाभिषेक
मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करें। बिल्व पत्र, धतूरा के साथ ही अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर ऊँ नम: मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। हनुमानजी को तेल और सिंदूर चढ़ाएं। दीप जलाकर सुंदरकांड का पाठ करें। अगर समय अभाव है तो हनुमान चालीसा का पाठ करें।
देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन जरूर करें
अमावस्या पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। इस तिथि पर लक्ष्मीजी और विष्णुजी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। पूजा में तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं।
Created On :   9 Feb 2021 1:04 PM IST