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एक चिंगारी कर देगी कीमती दस्तावेज स्वाहा, जानिए क्या है माजरा?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में चर्चित नगर भूमापन विभाग के कार्यालयों की कार्यप्रणाली बदलने का नाम नहीं ले रही है। अब भी दर्जनों भू-संपत्ति धारकों को म्यूटेशन व तत्संबंधी अन्य कार्यों के लिए नगर भूमापन कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इस मामले में भूमापक पयर्वेक्षकों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। यह आम चर्चा है कि शहर के तीनों भूमापन कार्यालयों में कार्यरत भूमापक पर्यवेक्षक किसी न किसी प्रकार से कारण बताकर आवेदक द्वारा पेश म्यूटेशन के आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। इन आवेदनों पर तब ही गंभीरता बरती जाती है जब आवेदक द्वारा अधिकारी की जेब गर्म कर दी जाती है। इस मामले में बड़े अधिकारियों के आदेश-निर्देश को भी नजर-अंदाज कर दिया जाता है। इसके कारण म्यूटेशन लोगों के लिए सिरदर्द बन रहा है।
भू-संपत्ति के रिकॉर्ड,आवेदकों के दस्तावेज सुरक्षित नहीं
नगर भूमापन कार्यालय क्र 2 व 3 का कार्यालय प्रशासकीय इमारत क्र. 1 में है। इस इमारत के पांचवें व छठे माले पर क्रमश: स्थित इन कार्यालयों में प्रवेश करते ही यहां की अव्यवस्था उजागर होने लगती है। इन कार्यालयों में आने वाले आवेदकों के लिए न तो बैठने की जगह है और न ही अधिकारियों के पास इन आवेदकों की पीड़ा सुनने का समय। भू-संपत्ति के रिकॉर्ड, आवेदन व दस्तावेज जहां-तहां पुलिंदों में बंधे पड़े नजर आते हैं। यही नहीं भू-संपत्ति के पुराने रिकॉर्ड जिन अलमारियों में रखे हैं वे अलमारियां टूटी-फूटी व खुली पड़ी हंै। इस स्थिति में असामाजिक तत्व आसानी से कार्यालय परिसर में रखे दस्तावेजों व रिकॉर्ड पर हाथ साफ कर सकते हैं। दस्तावेजों की असुरक्षा के चलते ही अनेक आवेदकों की आवश्यकताओं को पूरा करने में बरसों बीत जाते हैं किंतु उनकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा रहा हैं।
अगर आप किसी संपत्ति के मालिक हैं और आपके दस्तावेजों का ताल्लुक नगर भूमापन कार्यालय से है तो यह खबर आपके लिए है। क्योंकि प्रशासकीय इमारत में स्थित नगर भूमापन कार्यालय में दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। लापरवाही की हद तो इतनी पार हो चुकी है कि बरामदे में पड़े दस्तावेजों के बंडल खुल चुके हैं। दस्तावेज तितर-बितर हो रहे हैं। किसी भी व्यक्ति को कागज की जरूरत पड़ी तो वह यहीं से कागज उठाकर चल देता है। उसे इस बात की परवाह नहीं होती कि वह जिस कागज को ले गया वह किसी की संपत्ति का महत्वपूर्ण दस्तावेज हो सकता है। कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से वहां दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए किसी को तैनात नहीं किया गया है। यदि सिगारेट-बीड़ी पीने के शौकीन ने वहां जलती हुई माचिस की तीली, बीड़ी, सिगरेट फेंकी तो आग लगने में समय नहीं लगेगा। केवल एक विभाग की लापरवाही के चलते अन्य विभागों को भी इस त्रासदी का शिकार होना पड़ सकता है। जबकि वहां धूम्रपान निषेध के स्टिकर भी लगे हैं, लेकिन इसे कोई गंभीरता से नहीं लेता। सबसे बड़ी दिक्कत आम जनता को होगी क्योंकि उनकी संपत्ति के सारे दस्तावेज इसी विभाग के पास हैं। इसके अलावा चोरों का भी डर बना है। प्रशासकीय इमारत क्रमांक एक और दो पर स्थित नगर भूमापन कार्यालय क्रमांक 1, 2 और 3 का भी यही हाल है।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है सिटी सर्वे
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नगर भूमापन विभाग के अधिकारियों पर अब तक आवेदकों को गुमराह करने, म्यूटेशन के मामलों के प्रति गंभीरता न बरतने, सूचना के अधिकार अधिनियम को धता बताने, रिश्वतखोरी के लिए अपने एजेंटों की मदद लेने आदि गंभीर आराेप लगाए जा चुके हैं। खास बात यह है कि इन आरोपों के बावजूद सिटी सर्वे की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।
Created On :   18 Sept 2018 3:02 PM IST