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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपियों के सिर्फ आपत्तिजनक पत्र रोके गए

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हलफनामा दायर कर बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले से जुड़े आरोपियों की ओर से अपने परिवार वालों को लिखे गए सभी पत्र नहीं रोके गए हैं। हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि जेल अधीक्षक ने आरोपियों को उन्ही पत्रों को रोका है जो आपत्तिजनक व संदिग्ध थे। एनआईए ने यह हलफनामा आरोपी आनंद तेलतुंबडे की पत्नी रमा व आरोपी वरनन गोंसल्विस की ओर से दायर याचिका के जवाब में दायर किया है।तेलतुंबडे की पत्नी ने याचिका में दावा किया है कि तलोजा जेल के अधीक्षक आरोपियों की ओर से भेजे जानेवाले पत्रों व उन्हें आनेवाले पत्रों को रोक रहे हैं।
हलफनामे में एनआईए ने कहा कि है कि वह आरोपियों को व उनके परिवार के लोगों को पत्र भेजने की अनुमति दे रही है। इसलिए आरोपियों के घरवालों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया जाए। हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि आरोपियों के घरवालों ने एनआईए पर जो पत्र रोकने का आरोप लगाया है वह पूरी तरह से आधारहीन है। वर्तमान में जेल में बंद कैदी अपने घरवालों को नियमों के तहत पत्र भेज सकते है। हलफनामे में कहा गया है कि जेल नियमावली के मुताबिक जेल अधीक्षक आरोपियों व कैदियों की ओर से भेजे जानेवाले आपत्तिजनक व संदिग्ध पत्रों को रोक सकते है। हलफनामे में कहा गया है कि तेलतुंबडे के आपत्तिजनक पत्र को रोका गया था।
Created On :   23 Oct 2021 6:59 PM IST