2 करोड़ के ट्रामा यूनिट में आग बुझाने वाला एक सिलेंडर

Only one cylinder for fire extinguishing in trauma unit
2 करोड़ के ट्रामा यूनिट में आग बुझाने वाला एक सिलेंडर
2 करोड़ के ट्रामा यूनिट में आग बुझाने वाला एक सिलेंडर

डिजिटल डेस्क, सतना। जिला अस्पताल में लगभग 1 साल पहले 2 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुई ट्रामा यूनिट में आग बुझाने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। बड़ी बात यह है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग में आग लग जाने के दौरान बचाव के लिए अस्पताल प्रबंधन ने एक अग्निशामक यंत्र तक नहीं लगवाया, जबकि मौजूदा समय में ट्रामा सेंटर में मेल सर्जिकल वार्ड-1 और आर्थोपेडिक वार्ड को शिफ्ट किया गया है। दोनों वार्डों को मिलाकर यहां हर समय तकरीबन 50 से 60 मरीज एडमिट रहते हैं।

स्टोर में रखा है अग्निशामक यंत्र
अस्पताल सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल के पुराने बिल्डिंग में मेल सर्जिकल और ऑथोपेडिक वार्ड  का जब रिनोवेशन किया जा रहा था, तब वार्डों को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया था। उसी समय वार्ड का पूरा सामान ट्रामा सेंटर भेजा गया,  अग्निशामक यंत्र भी उसी समय स्टोर में रखवाया गया था। लगभग 4-5 महीने से अग्निशामक यंत्र स्टोर में ही धूल फांक रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने इसे दीवाल में लगवाने की जरूरत नहीं समझी। ऐसे में अगर कभी जरूरत पड़ जाए तो पैरामेडिकल स्टाफ सिलेंडर तक आसानी से पहुंच नहीं पाएगा।

आने जाने का एक रास्ता
ट्रामा यूनिट को बनाते वक्त कुछ टेक्निकल चीजों को भी नजरंदाज किया गया है। अस्पताल सूत्रों की मानें तो नियमन ट्रामा सेंटर में आने-जाने के लिए कम से कम 2 रास्ते होने चाहिए। क्योंकि अगर कभी यहां आगजनी की घटना होती है तो मरीज और उनके परिजन दूसरे रास्ते से आसानी से बाहर निकाल सकें, लेकिन इस बिल्डिंग में आने-जाने का एक ही रास्ता है। वैसे तो अस्पताल प्रबंधन नैदानिक केंद्र के पास से एक वैकल्पिक गेट बनवाया है, लेकिन दोपहर 1 बजे के बाद यह गेट बंद हो जाता है। वैसे भी इस गेट की जानकारी सिर्फ अस्पताल प्रबंधन और पैरामेडिकल स्टॉफ को रहती है। अन्य मरीज इस दरवाजे से अनजान रहते हैं।

पुरानी बिल्डिंग में बेहतर इंतजाम
ट्रामा इकाई के मुकाबले अगर जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को देखा जाए तो यहां आगजनी से काबू पाने के लिए ठीक-ठाक इंतजाम किए गए हैं। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां कुल 13 वार्ड चल रहे हैं। अमूमन सभी वार्डों में 2-2 अग्निशामक यंत्र लगाए गए हैं, इसके अलावा हाल ही में तैयार हुई बर्न यूनिट के सामने लगे मीटर और फ्यूज बॉक्स के पास भी 2 अग्निशामक यंत्र रखवाए गए हैं। ज्ञात हो कि शार्ट-सर्किट के चलते इस पैनल पर एक-दो दफा आग लग भी चुकी है। इन्हीं अग्निशामक यंत्र के सहयोग से आग पर काबू पाया गया था। बताया गया है कि पूरे जिला अस्पताल को मिलाकर तकरीबन 30 अग्निशामक यंत्र अलग-अलग जगहों पर लगे हुए हैं। 
 

Created On :   29 April 2019 8:22 AM GMT

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