ओ.पी. का निधन, नागपुर को बनाया था कर्मभूमि, दिए कई कलाकार

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
ओ.पी. का निधन, नागपुर को बनाया था कर्मभूमि, दिए कई कलाकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कला जगत के मशहूर कलाकार एवं मध्य भारत में मेलोडी मेकर्स के संचालक ओ.पी. सिंह का शनिवार को निधन हो गया। पिछले कुछ समय से वे लीवर सिरॉसिस नामक बीमारी से ग्रस्त थे। 6 महीने से निजी अस्पताल में उनका उपचार शुरू था। अंतिम  संस्कार रविवार 13 जनवरी को मोक्षधाम घाट पर किया जाएगा। अंतिम यात्रा सुबह 11.30 बजे उनके निवास स्थान सीताबर्डी स्थित जोशी वाड़ी से निकलकर मोक्षधाम घाट पर जाएगी। आर्केस्ट्रा जगत में ओ.पी. सिंह का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है। 28 जून 1949 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में उनका जन्म हुआ, लेकिन कर्मभूमि नागपुर रही। नागपुर में काफी संघर्ष रहा। अनेक रात नागपुर रेलवे स्टेशन पर सो कर गुजारी। उन्हें आनंद मिलता तो सिर्फ शहर में तत्कालीन विविध ऑर्केस्ट्रा ग्रुप की संगीतमय तैयारी देखकर। घंटों तक वे अकॉरडियन, की-बोडऑर, ड्रमस, ट्रमपेट, स्पैनिश गिटार, हवाइन गिटार, कांगो-बांगो की धुन में रम जाते थे। शालेय जीवन से उन्हें बड़े कलाकारों की नकल करने का शौक था। उस समय आर्केस्ट्रा की टीम सुव्यवस्थित नहीं रहती थी। घर, दुकान, मैदान कहीं भी तैयारी कर थे। नागपुर में ऑर्केस्ट्रा का पहला अधिकृत ऑफिस, अत्याधुनिक प्रैक्टिस रुम, आधुनिक ध्वनि व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था सहित बर्डी स्थित नेताजी मार्केट में ओ.पी. सिंह का ‘मेलोडी मेकर्स’ बना। 70 का यह दशक था। उस समय कुछ थियेटरों में ‘मेलोडी मेकर्स’ के विज्ञापन आते थे। हालांकि वह दिखती नहीं थी, सिर्फ सुनी जाती थी। मेलोडी मेकर्स ने साढ़े चार दशक में अनेक नए कलाकार मंच को दिए।

उन्होंने कभी रेडिमेड कलाकरों का आयात नहीं किया। शहर के अनेक गायक-वादक, ध्वनि संयोजक, प्रकाश संयोजक, मिमिक्री आर्टिस्ट, नृत्यांगना मेलोडी मेकर्स की देन है। शशिप्रसाद, प्रदीप पंच, भोला घोष, रमेश खांडेकर, पवन मानवटकर, विजय नायडू, अशोक ठवरे, रघुनंदन परसतवार, विजय जाधव आदि गायकों को मंच देने का श्रेय ओ.पी. सिंह को जाता है। सुप्रसिद्ध मिमिक्री आर्टिस्ट व लॉफ्टर चैलेंज के प्रथम विजेता सुनील पाल भी ओ.पी. सिंह की खोज हैं। संपूर्ण मध्य भारत में सही अर्थों में आर्केस्ट्रा क्या होता है, यह मेलोडी मेकर्स ने दिखाया। लाइट, साऊंड, नृत्य, प्रोजेक्टर का प्रभाव श्रोताओं को गद्गद करता था। ओ.पी. सिंह सुप्रसिद्ध मिमिक्री व सूत्र संचालक थे। उम्र के 70वें साल में वे नेताजी मार्केट के कार्यालय में बैठकर डिजिटल-आर्केस्ट्रा विषय पर बात करते थे। उनके पुत्र आकाश सिंह ने गिरीश कर्नाड अभिनीत ‘सुरसंगम’ और शाहरुख खान फेम ‘परदेस’ फिल्म में अभिनय किया है। ओ.पी. सिंह ने नर्गिस, आशा पारेख, राजेंद्र कुमार, अमिताभ बच्चन, हेलन आदि बड़े कलाकारों के साथ कार्यक्रम किया। मध्यप्रदेश जैसे राज्य से आकर नागपुरवासियों को मनोरंजन की पहचान कराने वाला महान कलाकार शनिवार को हमारे बीच से अलविदा हो गया।

उन्हें अंदाजा हो चुका था
पुराने समय में ऑर्केस्ट्रा के तीन लीडिंग ग्रुप थे। ओ.पी. सिंह, एम. ए. कादर और योगेश ठक्कर ग्रुप। ओ.पी. सिंह के बारे में यही कहना है कि वे स्वयं कलाकार तो थे ही, उन्होंने कई कलाकार भी बनाए हैं। वे नागपुर के शो मैन थे। पिछले महीने मुझे उनका फोन आया और उन्होंने कहा कि मेरे ऑफिस आओ, तो मैंने कहा कि शो के बाद आता हंू, तब उन्होंने कहा कि जल्दी आओ वरना देर न हो जाए। यह बात सुनकर मुझे अचंभा हुआ। मैं तुरंत उनके पास पहंुचा। उनके पास पहंुचते ही उनकी हालत देखी, तो मुझे तकलीफ हुई। उनको इस बात का अंदाजा हो चुका था कि अब वे ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। मैंने उनसे कहा कि अच्छे डॉक्टर को दिखा देते हैं, तो बोले नहीं रहने देते हैं। मेरी और ओ.पी. भाई की वो आखिरी मुलाकात थी।  

Created On :   13 Jan 2019 11:15 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story