एक बीमारी से हारी हर परेशानी निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों के ओपीडी पड़े हैं खाली

OPD of all the problems from private to government hospitals are lying vacant due to a disease
एक बीमारी से हारी हर परेशानी निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों के ओपीडी पड़े हैं खाली
एक बीमारी से हारी हर परेशानी निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों के ओपीडी पड़े हैं खाली

डिजिटल डेस्क, नागपुर । कोरोना के कारण शहर में जारी लॉकडाउन का भारी असर अस्पतालों पर पड़ा है। बड़े-बड़े अस्पतालों से लेकर क्लीनिक्स तक में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भारी कमी आई है। अधिकतर अस्पतालों में सामान्य दिनों की तुलना में दस फीसदी मरीज ही ओपीडी में पहुंच रहे हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों के ओपीडी सूने पड़े हैं या इक्का दुक्का मरीज ही पहुंच रहे हैं। यहां तक अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में भी भारी कमी आ चुकी है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े महत्त्वपूर्ण संगठन के सदस्य व डॉक्टर ने तो यहां तक माना कि लोग अस्पताल में आने से डर रहे हैं।

कोरोना के कारण हर तरह के व्यवसायों में मंदी की आशंका जाहिर की गई थी लेकिन स्वास्थ्य सेवा भी इसकी चपेट में आ सकती है ऐसा सोचा नहीं गया था। लोग जहां स्वस्थ होने की आशा से पहुंचते थे वहां से अब अस्वस्थ होने के भय से दूर रह रहे हैं। में कोरोना संक्रमित मरीज के पहुंचने के बाद शहर के कुछ अस्पतालों और जांच केंद्रों को बंद किए जाने की घटना के बाद आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों में भी घबराहट बढ़ गई है। लॉक डाउन शुरू होने के बाद परिस्थिति को समझते हुए महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल ने फोन पर सलाह देने की अनुमति दे दी है। 

लॉक डाउन के पहले हमारे ओपीडी में हर दिन 30 से 40 मरीज आते थे लेकिन फिलहाल 7 से 10 मरीज ही पहुंच रहे हैं। वैसे अस्पताल की ओर से अधिकतर मरीजों को फोन पर सलाह दी जा रही है। मेडिकल कौंसिल से डॉक्टर्स व हॉस्पीटल्स को टेलीफोन पर सलाह की इजाजत दी गई है। हम सिर्फ उन मरीजों को अस्पताल बुला रहे हैं जिन्हें प्रत्यक्ष देखना एकदम आवश्यक है। मरीजों के साथ केवल एक व्यक्ति को आने की इजाजत है। बुजुर्गों को बिलकुल नहीं बुलाया जा रहा है। यहां तक कि पूरे अस्पताल में क्षमता का केवल 10 फीसदी काम ही चल रहा है। लोग कोरोना को लेकर जागरूक हैं और संक्रमण से बचने के लिए अस्पताल आने से बच रहे हैं।  -डॉ स्वप्निल भिसीकर, न्यू इरा हॉस्पिटल

ओपीडी जारी है लेकिन गिनती की मरीज ही पहुंच रहे हैं। भर्ती मरीजों कीह संख्या भी काफी कम है। ऐसा नहीं है कि लोग परेशानी में नहीं हैं। मरीज फोन कर अपनी परेशानी बताते हैं। कुछ लोग अस्पताल आना भी चाहते हैं लेकिन कोई साधन नहीं होने के कारण नहीं आ पाते हैं। वैसे अस्पताल से मरीजों को टेलीफोन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मदद की जा रही है  -रवि मुदलियार, केयर हॉस्पिटल

ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल आना जरूरी है, वे अस्पताल आ रहे हैं। मरीज भर्ती भी हैं लेकिन सामान्य तौर ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों का 25 फीसदी ही अस्पताल आ रहे हैं। अधिकतर मरीज फोन पर सलाह ले रहे हैं या पुराने प्रिस्क्रिशन की मदद से दवा जारी रखे हैं। लोग लॉक डाउन के समय में घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं समझते हैं । -डॉ दीपक डोंगरे, ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल

 
 

 

Created On :   16 April 2020 6:55 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story