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“हलाल अिनवार्यता’ प्रमाणपत्र का विरोध समय की आवश्यकता

डिजिटल डेस्क, अमरावती। हमारा भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। देश में 95 इस्लामिक देशों के संगठन से धर्म के नाम पर समानंतर इस्लामी अर्थव्यवस्था हलाल प्रमाण-पत्र के माध्यम से खड़ी की जा रही है। हलाल अर्थव्यवस्था के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र की सुरक्षा संकट में पड़ गई है। इसलिए हम “हलाल अनिवार्यता’ का विरोध कर रहे हैं। यह बात हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ के संगठक सुनील घनवट ने कही। वह दैनिक भास्कर कार्यालय में चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि हलाल प्रमाण-पत्र अब केवल मांस तक ही सीमित नहीं रहा है, अब वह खाद्य पदार्थ के साथ ही सौंदर्य प्रसाधन, औषधियां, चिकित्सालय, गृह निर्माण संस्था, मॉल आदि पर भी लागू किया जा रहा है।
व्यापारियों को जरूरत न होने पर भी प्रत्येक उत्पाद के लिए 47 हजार रुपए का शुल्क देकर हलाल प्रमाण-पत्र और उसका लोगो खरीदना पड़ रहा है। भारत शासन की खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) संस्था द्वारा प्रमाण-पत्र देने की अधिकृत व्यवस्था होने पर भी निजी मुसलमान संस्थाओं द्वारा यह प्रमाण-पत्र दिया जा रहा है। भारत इस्लामी देश नहीं है, ऐसे में यह प्रमाण-पत्र भारत की संस्थाएं क्यों लें और शासन इस अवैध हलाल प्रमाण-पत्र को तत्काल बंद करे हम यह मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ 15 फीसदी मुस्लिम समाज को इस्लाम पर आधारित हलाल चाहिए, इसलिए 85 फीसदी गैर इस्लामिक जनता पर इसे थोपना उनके संवैधानिक धार्मिक अधिकारों तथा ग्राहक अधिकारों के विरुद्ध है। भारत के रेलवे सेवा और पर्यटन महामंडल जैसी संस्थाओं में हलाल खाद्यापूर्ति की जाती है। वह तत्काल बंद करने के आदेश दंे। साथ ही मैकडोनाल्ड और केएफसी जैसे प्रतिष्ठिानों द्वारा 100 फीसदी हलाल पदार्थों की बिक्री को बंद किया जाए।
Created On :   6 Sept 2022 10:03 AM IST