विपक्ष का आरोप- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा रही सरकार

Opposition says, Govt not providing funds for pregnant women
विपक्ष का आरोप- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा रही सरकार
विपक्ष का आरोप- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पैसों की कमी के चलते कथित रुप से आंगनबाड़ी की गर्भवती महिलाओं और नवजातों को पौष्टिक आहार न मिलने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। इससे पहले कांग्रेस के असलम शेख, विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील द्वारा पेश किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बहस के दौरान महिला व बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि इंटिग्रेडेट चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम (आईसीडीएस) के लिए केंद्र और राज्य सरकार 50-50 फीसदी रकम उपलब्ध कराती हैं। साल 2017-18 के लिए 1236 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। इसके अलावा पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने वाली महिला बचत समूहों को देने के लिए अतिरिक्त 279 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। केंद्र सरकार ने इसमें से 994 करोड़ रुपए की निधी मंजूर की।

पंकजा मुंडे ने आगे कहा, "राज्य सरकार की ओर से भी 594 करोड़ रुपए की निधी उपलब्ध कराई गई। पिछले साल दिसंबर महीने में शीतकालीन सत्र के दौरान 400 करोड़ रुपए पूरक मांग मंजूर किए गए थे। इसके जरिए बकाया बिल चुकाए जा रहे हैं। किसी भी जिले में बिल न चुकाने के चलते आंगनवाड़ी को की जा रही आपूर्ति नहीं रोकी गई है। छह महीने से छह साल तक की आयुवर्ग के 50 लाख बच्चों और 47 लाख गर्भवती महिलाओं और 53 लाख स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आंगनबाड़ी के जरिए नियमित पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है।" पंकजा मुंडे ने यह भी कहा कि वे वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार से 522 करोड़ रूपए देने की मांग करेंगी।

इससे पहले विपक्ष ने दावा किया कि आंगनबाड़ी को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने वाले बचत समूहों के 800 करोड़ रुपए सरकार के पास बकाया है और शीत सत्र में मंजूर किए गए रुपयों इस्तेमाल नहीं किया गया। विखेपाटील ने कहा कि सरकार के पास मुंबई-नागपुर नालेज कारीडोर और मेट्रों के लिए तो पैसे हैं लेकिन जरूरतमंदों को पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए पैसे नहीं है। सरकार पर मामले में गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने सभात्याग कर दिया।

मुंबई के साथ विदर्भ के बाघों की नहीं होगी उपेक्षा
विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे द्वारा बाघों की मौत को लेकर उठाए गए सवाल पर प्रदेश के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपने ही अंदाज में जबाव दिया। मुनगंटीवार की हाजिरजवाबी से पूरे सदन में जमकर ठहाके लगे। दरअसल बुधवार को मुंडे ने सदन के भीतर विदर्भ में 24 से 26 फरवरी के दौरान 7 बाघों की मौत का मुद्दा उठाया था। मुंडे ने कहा कि वनमंत्री मुंबई के बाघ (शिवसेना) की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इस कारण जंगल के बाघों की उपेक्षा हो रही है। इसके जवाब में वनमंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि बाघ मुंबई का हो या फिर जंगल का, दोनों जगहों के बाघ की उपेक्षा नहीं होगी। इस बीच वनमंत्री ने कहा कि विदर्भ में बाघों की मौत के कारण अलग-अलग है। वनमंत्री ने बताया कि चिमुर वनपरिक्षेत्र के भासोली में एक बाघ के मौत के मामले की जांच रिपोर्ट दो दिनों में आ जाएगी। इससे मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

नागपुर के गोरेवाडा में असफल हुआ प्रयोग
नागपुर के गोरेवाडा प्राणी संग्रहालय में चार बाघ के बच्चों की मौत हुई है। जगंलों के अलावा खुले जगहों पर बाघों को रखने के लिए गोरेवाडा में एक प्रयोग किया गया था। लेकिन यह प्रयोग असफल हुआ है। इसके अलावा दो बाघों के आपसी भिड़त में एक बाघ की मौत हुई है। वनमंत्री ने बताया कि राज्य में बाघों की संख्या बढ़ कर 190 हो गई है। जबकि 102 बाघ के बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि बाघों के लिए जगह सीमित है। क्योंकि जंगल बढ़ नहीं रहे हैं। दूसरी तरफ एक बाघ दूसरे बाघ को अपने आसपास देखना नहीं चाहता। इस कारण बाघों के लिए पर्याप्त जगह की व्यवस्था करना आने वाले समय में बड़ी चुनौती होगी।

Created On :   8 March 2018 12:20 AM IST

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