छोटे से सत्र में सरकार को घेरेगा विपक्ष

Opposition will attack the government in a short session
छोटे से सत्र में सरकार को घेरेगा विपक्ष
पांच दिनों के सत्र में कामकाज निपटाने की चुनौती छोटे से सत्र में सरकार को घेरेगा विपक्ष

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आगामी 22 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में सत्ताधारी महाविकास आघाड़ी और विपक्षी दल भाजपा के आमने-सामने आने के आसार नजर आ रहे हैं।शीत सत्र में प्रदेश सरकार के मंत्रियों और नेताओं व उनके रिश्तेदारों के खिलाफ ईडी, एनसीबी, सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेसियों की कार्रवाई को लेकर सत्ताधारी और विपक्ष में सीधे भिड़ंत होने की संभावना है। हालांकि यह सत्र केवल पांच दिन चलने वाला है इस लिए विपक्ष के पास सरकार को घेरने का बहुत कम मौका मिलेगा।  

प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिकने क्रूज ड्रग्स मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद एनसीबी के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे व उनके परिवार के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। जिस पर विधान सभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मलिक पर अंडरवर्ल्ड से संबंध होने का गंभीर आरोप लगाया था। इससे मद्देनजर समझा जा रहा है कि सदन में जमकर घमासान देखने को मिल सकता है। मंत्री मलिक ने भी इस तरह के संकेत दिए हैं। बीते दिनों मलिक ने कहा था कि मैं हाइड्रोजन बम अभी फोड़ा नहीं हूं, विधानसभा में हाइड्रोजन बम फोडूंगा।सूत्रों के अनुसार विपक्ष पर जवाबी हमला करने के लिए सत्ताधारी दल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर कथित हमले, पूर्व की भाजपा सरकार के मंत्रियों के घोटाले, केंद्र सरकार के पास जीएसटी के बकाया भुगतान करने जैसे मुद्दों को उठा सकता है।

‘दो साल में दो दिन भी मंत्रालय नहीं गए सीएम’
रयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष तथा विधायक सदाभाऊ खोत ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि पिछले दो सालों में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दो दिन भी मंत्रालय में नहीं आए हैं। इसलिए सरकार का प्रशासन पर अंकुश नहीं है। राज्य में शासन कही नजर नहीं आ रहा है। प्रशासन मनमाने तरीके से काम कर रहा है। सरकारी अधिकारियों पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। दूसरी ओर राज्य में किसान, बारालुदेदार, ओबीसी, मराठा सहित समाज के हर वर्ग के लोग परेशान हैं। सदन में इन लोगों के मुद्दों को उठाया जाएगा लेकिन सदन की अवधि काफी कम है। इसलिए हमें नहीं लगता है कि शीत सत्र में हर वर्ग के लोगों को न्याय मिल सकेगा। 
वहीं भाजपा के एक विधायक नेकहा कि शीत सत्र केवल 5 दिन का होगा। इसमें से प्रत्यक्ष कामकाज चार दिन हो सकेगा। इसलिए हमारी कोशिश होगी कि सदन की कार्यवाही बिना बाधा के चल सके। क्योंकि यदि हमने सदन में हंगामा किया तो सदन काकामकाज रूक सकता है। ऐसे में हमें सदन में जनहित के मुद्दों को उठाने का मौका नहीं मिल पाएगा। 

इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष 
विपक्ष ने दोनों सदनों में सरकार को घेरने के लिए तैयारी की है। विपक्ष किसान समस्या, महिला अत्याचार, कोरोना संकट, मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप,अहमदनगर सरकारी अस्पताल में आग की घटना,एसटी कर्मचारियों की हड़ताल, स्थानीय निकायों के ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण, मराठा आरक्षण, क्रूज ड्रग्स मामला, किसानों का बिजली कनेक्शन काटने, पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने, विदेशी शराब पर टैक्स कम करने समेत अन्य मुद्दों को उठाएगा।

विदर्भ के किसानों का मुद्दा उठाएंगे- निलय नाईक 
विधान परिषद में भाजपा सदस्य निलय नाईक ने कहा कि हम शीत सत्र में विदर्भ के किसानों को राहत देने का मुद्दा सदन में उठाएंगे।क्योंकि विदर्भ के किसानों को सोयाबीन और कपास की फसल को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। अलग-अलग आपदों में किसानों की फसलों का काफी नुकसान हुआ है। मगर सरकार की ओर से किसानों को राहत नहीं मिल सकी है।दूसरी ओर कृषि पंपों का बिल न भरने की वजह से किसानों के बिजली कनेक्शन सख्ती से काटे जा रहें हैं। किसानों की इस तकलीफ को सदन में सरकार के सामने रखा जाएगा। नाईक ने कहा कि सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा विकास परियोजनाओं के लिए मंजूर राशि का आवंटन भी बंद कर दिया है। 

शीत सत्र में पेश होंगे 12 विधेयक 
राज्य सरकार शीत सत्र के दौरान दोनों सदनों में 12 विधयकों को पारित कराएगी। इसमें पूरक मांगों वाला विनियोजन विधेयक का भी समावेश है। सरकार ने प्रदेश के शहरी और ग्रामीण निकायों में ओबीसी आरक्षण के राजनीतिक आरक्षण बहाल करने, मनपा और नगर पालिका में बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति लागू करने, मनपा और जिला परिषदों में सीटों की संख्या बढ़ाने औरसमुद्र से सटे तटीय क्षेत्र में मछली पकड़ने और उसके कारोबार करने संबंधित अध्यादेश जारी किया है। अब सरकार इन अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए सदन में विधेयक पेश करेगी। 

राज्य के तीन कृषि विधयकों पर करना होगा फैसला
केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून को वापस लेने का फैसला लिया है। इसलिए राज्य सरकार को अब शीत सत्र में कृषि से जुड़े अपने तीनों विधयकों के संबंध में फैसला लेना होगा। राज्य के कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून को रद्द कर दिया है। इसलिए राज्य सरकार की ओर से अलग से बनाए गए तीन कृषि विधेयकों को शीत सत्र में पारित करना है अथवा वापस लेना है। इस संबंध में मंत्रियों की गठित उपसमिति फैसला करेगी। इसके पहले राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून को महाराष्ट्र में लागू करने से इंकार कर दिया था। सरकार ने इसके बदले अपने तीन कृषि विधेयकों को गत मानसून सत्र के आखिरी दिन सदन में पेश किया था। सरकार ने इन तीनों विधयकों पर जनता से सुझाव और आपत्तियां मंगाई थी।


 

Created On :   4 Dec 2021 1:12 PM GMT

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