सत्र शुरु होने के पहले थे विपक्ष के तीखे तेवर, अब पड़ रहे ठंडे

oppositions high pitch is slowly down in first week of session
सत्र शुरु होने के पहले थे विपक्ष के तीखे तेवर, अब पड़ रहे ठंडे
सत्र शुरु होने के पहले थे विपक्ष के तीखे तेवर, अब पड़ रहे ठंडे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सत्र आरंभ होने के पहले विपक्ष ने जो तेवर दिखाने का दावा किया था वह विधानसभा में पूरा होते नहीं दिखा। हंगामें की परंपरा तो चलती रही, लेकिन कामकाज की गति भी कम नहीं हुई। सत्ता पक्ष के एकनाथ खडसे जन मुद्दों पर मुखर दिखे। वे ही अधिक चर्चा में रहे। शिवसेना के मंत्री, विधायकों के तेवर काफी नरम नजर आए। 11 दिसंबर को सत्र की शुरुआत हुई। आमतौर पर पहले दिन सभागृह में अधिक कामकाज नहीं हो पाता है। शोक प्रस्ताव के बाद कामकाज का जन गण मन हो जाता है, लेकिन इस बार सरकार ने अलग तेवर दिखाए। सभा आरंभ होते ही विविध अध्यादेश सभागृह पटल पर रखने का दौर चला।

मिनी बजट स्वरुप पूरक मांगों का प्रस्ताव

सरकार ने मिनी बजट स्वरुप पूरक मांगों का प्रस्ताव भी रख दिया। विपक्ष ने किसान कर्जमाफी मामले को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया, तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खास अंदाज में विपक्ष पर बिफरे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विपक्ष के सारे प्रश्नों का उत्तर देने के साथ ही दूध का दूध और पानी का पानी कर देने को तैयार हैं। दूसरे दिन विपक्ष का हल्लाबोल मोर्चा पहुंचा। राकांपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ही यह प्रश्न गूंजता रहा कि किसकी ताकत अधिक थी। तीसरे दिन सत्तापक्ष की ओर से कृषि संकट मामले पर नियम 293 के तहत प्रस्ताव पर चर्चा की गई। सत्ता पक्ष के सदस्य अनिल बोंडे ने सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कांग्रेस और राकांपा की पिछली सरकार पर कई आरोप लगाए। बाद में विपक्ष की ओर से रखे गए चर्चा प्रस्ताव पर चर्चा की गई। विपक्ष की आक्रामकता कम ही नजर आई। इस बीच कुछ प्रश्नों पर सत्ता पक्ष के सदस्य एकनाथ खडसे सरकार का कान खींचते रहे।

रकार की नीतियों का विरोध

रोजगार गारंटी योजना से जुड़े प्रश्न पर खडसे की नसीहत सुन ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने अड़चन व्यक्त की। खडसे ने पंकजा से कहा- मैं, तुम और मुख्यमंत्री ने विपक्ष में रहते हुए जिन प्रश्नों पर जोर दिया था, सत्ता में आने पर अब उनपर काम करने की अधिक जवाबदारी है। कृषि मामले पर भी वे सरकार के कामकाज से असहमति जताते रहे। गन्ना उत्पादन और शक्कर कारखानों का मामला आया, तो खडसे विपक्ष के साथ नजर आए। राकांपा सदस्य अजित पवार ध्यानाकर्षण सूचना के तहत गन्ना मामले पर सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे थे।

गन्ना उत्पादकों और शक्कर कारखाना संचालकों के बीच तालमेल की बात

खडसे ने भी कहा, गन्ना उत्पादकों और शक्कर कारखाना संचालकों के बीच तालमेल होना चाहिए। गन्ना खरीदी संबंधित विवादित शर्त को रद्द किया जाना चाहिए। खडसे के तेवर देख सहकार मंत्री सुभाष देशमुख भौंचक्क रह गए। सत्र के पहले विदर्भ को लेकर मुख्यमंत्री को चिट्टी लिखनेवाले भाजपा सदस्य आशीष देशमुख सभागृह में कम ही नजर आए। एक बार वह विपक्ष के सदस्यों के साथ वेल में पहुंचकर कागज लहराते दिखे। 

कपास में लगे कीड़े से शिवसेना की तुलना

नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील शिवसेना के विरोध में तल्ख बोल बोलते रहे। पहले उन्होंने शिवसेना की तुलना कपास में लगे कीड़े से की थी। शिवसेना की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त की तो पाटील ने सभागृह में शिवसेना पर पलटवार किया। स्वयं को शिवसेना के विरोध में विषैली दवा कहा। साथ ही शिवसेना प्रमुख पर तंज कसते हुए कहा कि वे सरकार से बाहर जाने का बयान देने का शतक पूरा करने जा रहे हैं। विपक्ष के तेवर को भाजपा सदस्य सुरेश हवलणकर ने अवश्य हवा दी। सप्ताहांत में प्वाइंट आफ इंफर्मेशन के तहत सुरेश के प्रश्न पर हंगामा मच गया। शिवाजी महाराज की जन्मतिथि से संबंधित प्रश्न था। सभागृह के बाहर निकलकर कांग्रेस सदस्य नीतेश राणे तो यह तक कह गए कि सुरेश बाहर आकर कोई बयान देकर तो देखें। 

Created On :   17 Dec 2017 2:57 PM IST

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