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ईंटभट्टियों और स्टोनक्रेशर के कारण संतरे की फसल हो रही बर्बाद

डिजिटल डेस्क,अमरावती । मानसून के दौरान और उसके बाद बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और मौसम की बेरुखी से किसानों का पहले ही बुरा हाल हो गया है। गत वर्ष ग्रीष्मकाल भी किसानों को रुलाकर गया है। यही नहीं कुछ दिन पूर्व जिले के कुछ तहसीलों में अतिवृष्टि में फिर फसलों का नुकसान किया। इस बार जिले की कई तहसीलों में विशेष कर मोर्शी, वरूड़, दर्यापुर, चांदुर बाजार, तहसील अंतर्गत ईंटभट्टी से निकलने वाली ज्वाला, स्टोन क्रेशर से हो रहे प्रदूषण के चलते संतरे के बाग प्रभावित हो रहे हैैं। संतरा के पेड़ सूखने से किसान एक बार फिर चिंतित हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक हिवरखेड़ अंतर्गत मौजा बोपलवाड़ी सरकारी जगह पर पिछले दो वर्ष से ईंटभट्टी कारखाना चलाया जा रहा है। कच्ची ईंटों को पकाने के लिए ईंटभट्टी में आग लगाई जाती है। जिसकी ज्वालाएं दूर-दूर तक फैलती है। इस परिसर में बड़े पैमाने पर संतरे की बागायती है। ईंट भट्टी से उड़ने वाली ज्वालाएं एवं तपन की वजह से संतरा पेड़ प्रभावित होने लगे हैं। यही नहीं अधिकांश पेड़ अब सूखने की कगार पर है।
उल्लेखनीय है कि हिवरखेड़ के किसान मोहन जोशी व मंदा श्रीकृष्ण काले सहित 30 किसानों ने कई बार इस संदर्भ में जिलाधीश, विभागीय आयुक्त को लिखित शिकायत भी दी थी। लेकिन राजस्व विभाग की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। परिसर में संतरा बागों के अलावा तुअर, कपास, सोयाबीन के बाद रबी मौसम में गेहूं, चने का उत्पादन किसान करते है। ईंटभट्टी, स्टोन क्रेशर की वजह से तापमान गर्म होने से खरीफ व रबी मौसम की फसलों का उत्पादन भी घट रहा है। पहले ही आसमानी संकट झेल चुके किसानों को अब इस नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि ईंटभट्टी का कारखाना शुरू करते समय संबंधित व्यवसायी को स्वयं के मालिकाना अधिकार की जमीन दिखाना आवश्यक है। लेकिन यह ईंटभट्टी पिछले दो वर्ष से शासकीय जगह पर चलाने की चर्चा गांव में है।
तहसीलदार के आदेश को दिखायी कचरे की टोकरी
गौरतलब है कि वर्ष 2008-09 में ईंटभट्टी व्यवसायी ने राजस्व विभाग की अनुमति लिए बिना बोपलवाड़ी में एफ क्लास जमीन पर ईंटभट्टी का कारखाना शुरू किया था। जिसके विरोध में मन्नु मालकबाबा रणनले सहित 18 किसानों ने तहसील कार्यालय में शिकायत दी थी। तत्कालीन तहसीलदार अनिरुध्द बक्षी ने इस संदर्भ में जांच के आदेश दिए थे। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शासकीय जमीन पर अनधिकृत ईंटभट्टी चलाई जा रही है। तहसीलदार ने राजस्व व वन विभाग के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ईंटभट्टी हटाने का आदेश पारित किया था। बावजूद इसके शासकीय जमीन से अब तक ईंटभट्टी नहीं हटाई गई है।
Created On :   12 Oct 2021 1:27 PM IST