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दो लोगों के अंगदान से 4 को मिला जीवन, हृदय-फेफड़े नहीं हो सके प्रत्यारोपित

डिजिटल डेस्क, नागपुर।शहर में शुक्रवार को दो ब्रेन डेड व्यक्तियों के अंगदान से 4 लोगों को जीवन मिला है। उनके अलग-अलग अंग जरूरतमंदों पर प्रत्यारोपित किए गए हैं। ब्रेन डेड होने पर अंगदान करने वाले में सोनापुरा, पारशिवनी निवासी 65 साल का श्रावण गजानन रोकडे है। वहीं दूसरा व्यक्ति अचलपुर निवासी 42 वर्षीय है। सोनापुरा पारशिवनी निवासी 65 साल के श्रावण रोकडे की तबीयत खराब होने से बुधवार को शहर के मेडिट्रिना अस्पताल में भर्ती किया गया। उसकी हालत नाजुक थी। जांच के बाद उसका उपचार शुरू किया गया। उन्हें एक्यूट सर्कुलेशन स्ट्रोक होने का पता चला। इस कारण उपचार को प्रतिसाद नहीं मिल रहा था। अगले दिन गुरुवार को डॉक्टरों ने दोबारा उसकी जांच की। ब्रेन जांच के दौरान पता चला कि श्रवण का ब्रेन डेड हो चुका है। डॉक्टरों ने इसकी जानकारी जेडटीसीसी (जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर) को दी। समन्वयक वीणा वाठोरे ने परिजनों का समुपदेशन किया।
ज्यादा उम्र के कारण काम नहीं आए कुछ अंग : श्रावण की पत्नी कलाबाई, बेटा राकेश और महेश को अंगदान का महत्व समझाया गया। इसके अलावा अंगदान करने पर दूसरे लोगों को किस तरह जीवन दिया जा सकता है, इसकी जानकारी दी। इसके बाद परिजनों ने अनुमति दी। जेड्टीसीसी की टीम की अध्यक्ष डॉ. विभावरी दाणी व सचिव डॉ. संजय कोलते ने अंगदान की प्रतीक्षा सूची देखकर प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद जरूरतमंदों पर अंग प्रत्यारोपित करने की अनुमति दी। उम्र के हिसाब से श्रावण के कुछ अंग प्रत्याराेपण करने योग्य नहीं थे। इसलिए श्रावण का लिवर ही काम आ सका। मेडिट्रिना अस्पताल में 34 साल की महिला पर लिवर प्रत्यारोपित किया गया। श्रावण का हार्ट, किडनी काम नहीं आ सके। वहीं परिजनों के मना करने से आंखों का कॉर्निया किसी को नहीं दिए जा सके।
चेन्नई नहीं भेजे जा सके हृदय और फेफड़े
अमरावती जिले के अचलपुर निवासी 42 साल के विशाल नवलकर के सिर पर मार लगी थी। बुधवार को उसे गंभीर अवस्था में परतवाड़ा के भंसाली मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया था। गुरुवार को जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्रेन डेड होने की घोषणा की। समिति के सदस्य डॉ. आशीष भंसाली ने विशाल की पत्नी स्नेहा, बेटी और माता-पिता को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया। उनका समुपदेशन कर अंगदान का महत्व बताया। स्नेहा ने अपने पति के विचारों को रखते हुए कहा कि वे हमेशा कहते थे कि अपना जीवन किसी के काम आए, यही मनुष्यधर्म है। परिजनों की अनुमति के बाद विभागीय अंग प्रत्यारोपण समिति की अध्यक्ष डॉ. विभावरी दाणी और सचिव डॉ. संजय कोलते को दी।
ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया
समन्वयक वीणा वाठोरे ने अंगदान के लिए प्रतीक्षारत लोगों की सूची देखी। इसके बाद विशाल की दोनों किडनी और लिवर ग्रीन कॉरिडोर तैयार कर नागपुर लाए गए। इनमें से एक किडनी सुपर स्पेशलिटी में 33 साल के पुरुष पर और दूसरी किडनी केयर अस्पताल के 26 साल के पुरुष पर प्रत्यारोपित की गई। वहीं विशाल का लिवर न्यू ईरा अस्पताल में 67 साल की महिला पर प्रत्यारोपित किया गया। विशाल के दोनों कॉर्निया अमरावती की आय बैंक को सौंपे गए। उसका हृदय और फेफड़े चेन्नई भेजे जानेवाले थे, लेकिन यातायात समस्या के चलते यह संभव नहीं हाे पाया। इस तरह अंग उपलब्ध होते हुए भी व्यवस्था की खामियाें के चलते जरुरतमंदों को जीवन नहीं दिया जा सकता। यह एक तरह से त्रासदी बनी हुई है। ऐसा जाेनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर की अध्यक्ष डॉ. विभावरी दाणी ने कहा है।
Created On :   4 Dec 2021 5:04 PM IST