पबरा जलाशय फूटा, दो साल पहले मरम्मत में खर्च हुए थे 90 लाख- कटनी-बीना रेल लाइन पर खतरा

Pabra reservoir of water resources department split on Friday
पबरा जलाशय फूटा, दो साल पहले मरम्मत में खर्च हुए थे 90 लाख- कटनी-बीना रेल लाइन पर खतरा
पबरा जलाशय फूटा, दो साल पहले मरम्मत में खर्च हुए थे 90 लाख- कटनी-बीना रेल लाइन पर खतरा

डिजिटल डेस्क, कटनी। सौ साल पूरे कर चुका जल संसाधन विभाग का पबरा जलाशय शुक्रवार को फूट गया। इस जलाशय एवं नहरों की मरम्मत में विभाग ने दो साल पहले 90 लाख रुपये खर्च किए थे इसके बाद भी जलाशय को नहीं बचाया जा सका। जलाशय बचाने शुक्रवार सुबह से ग्रामीणों के साथ रेलवे के कर्मचारी जुटे रहे लेकिन सफलता नहीं मिली। जलाशय के फूटने से कटनी-बीना रेल लाइन के बहने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इसी कारण रेलवे के 50 कर्मचारी बांध को बचाने जूूझते रहे। बांध के फूटने से लगभग दो सौ एकड़ में इस साल से सिंचाई नहीं हो पाएगी।

पिछली रात से होने लगी थी रिसन-
बताया गया है कि सेल्यूस गेट के पास से गुरुवार की रात से रिसन होने लगी थी। सेल्यूस गेट से तेजी से निकालने के कारण खेत लबालब होने लगे थे। जिस पर ग्राम पंचायत अमगवां के उप सरपंच मिल्लू चक्रवर्ती ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन को सूचना दी।  सुबह तक रिसन काफी बढ़ गई और तमाम प्रयासों के बाद दोपहर तक सेल्यूस गेट की मेढ़ का ज्यादातर हिस्सा बह गया। जानकारी मिलते ही जल संसाधन विभाग के इंजीनियर रात में ही पबरा जलाशय पहुंच गए थे लेकिन मरम्मत का कार्य सुबह शुरू हो पाया।  ग्रामीणों की मदद से बोरियों में रेत एवं मिट्टी भरकर बांध को बचाने का प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली।

जल संसाधन विभाग ने मानी हार-  रेल लाइन बचे जुटे कर्मचारी-
सभी प्रयासों के बाद दोपहर में जब बांध के बचने की उम्मीद नहीं बची तब जल संसाधन विभाग ने मजदूरों को वहां से हटा दिया। जबकि रेलवे के लगभग 50 मजदूर रेल लाइन को बचाने जुटे रहे। नहर को कई स्थानों से काटकर पानी के बहाव को डायवर्ट करने का प्रयास किया गया। कटनी-बीना रेल खंड की रेल लाइन यहां से मात्र आधा किलोमीटर दूर है। सलैया रेलवे स्टेशन के समीप अमगवां में रेल लाइन तक पानी पहुंचने की संभावना से रेलवे अधिकारी परेशान रहे।  रेल प्रशासन की चिंता यह थी कि यदि पानी का बहाव रेल लाइन की तरफ गया तो रेल लाइन को  भारी क्षति हो सकती है।

दो साल पहले खर्च हुए थे 90 लाख-
बताया गया है कि जल  संसाधन विभाग ने शतक पूरा कर चुके पबरा जलाशय एवं इसकी नहरों की मरम्मत में 90 लाख रुपये खर्च किए थे। इसके बाद भी बांध के फूटने से ग्रामीणों में असंतोष देखा जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार जल संसाधन विभाग ने जलाशय मरम्मत के कार्य में व्यापक लापरवाही की, जिससे ऐसी स्थिति बनी। यदि कार्य इमानदारी से किया गया होता तो आज जलाशय बचा रहता। अब भविष्य में भी इस जलाशय से सिंचाई होना मुश्किल है।

1912 में हुआ था निर्माण-
जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रीठी विकासखंड के ग्राम अमगवां के समीप पबरा में 1912 में जलाशय का निर्माण पूर्ण हुआ था। इस जलाशय से दो गांवों में खरीफ सीजन में 65 से 70 हेक्टेयर एवं रबी सीजन में सौ हेक्टेयर में सिंचाई होती है। वर्ष 2017-18 में सिंचाई कम होने से रबी सीजन में मात्र 41 हेक्टेयर में सिंचाई हुई थी।

 

Created On :   21 Sep 2018 12:42 PM GMT

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