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खुले बाजार में 15 रुपए प्रति किलाे के हिसाब से बिक रहा धान

डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा (गड़चिरोली) । इस वर्ष किसानों के लिए खरीफ सत्र पूरी तरह नुकसानदेह साबित हुआ है। पहले अतिवृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हुईं। जिसके बाद जंगली हाथियों ने किसानों की फसलों को रौंद दिया। जैसे-तैसे किसानों ने धान कटाई का कार्य पूर्ण किया। लेकिन अब आदिवासी विकास महामंडल और मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं किये जाने से किसानों को कवड़ीमोल दामों में अपनी मेहनत का धान निजी व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है। वर्तमान में किसानों के हाथ में धान आ गया है। वित्तीय संकटों का सामना कर रहें किसान अब गुजर-बसर करने के लिए 14 से 15 रूपये प्रति किलो के हिसाब से निजी व्यापारियों को धान बेच रहें है। इसमें भी उन्हें वित्तीय नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके अब तक सरकारी धान खरीदी केंद्र आरंभ नहीं किये जाने से किसानों में नाराजगी व्यक्त की जा रहीं है।
यहां बता दें कि, कुरखेड़ा तहसील धान उत्पादक के रूप में परिचित है। यहां किसी तरह का उद्योग नहीं होने से स्थानीय सुशिक्षित बेरोजगार भी खेती किसानी कर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहें है। लेकिन इस वर्ष खरीफ सत्र के दौरान किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। पहले अतिवृष्टि ने किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया। जिसके बाद जंगली हाथियों के झुंड ने खेत में लहलहा रहीं फसलों को तहस-नहस कर दिया। हाथियों द्वारा नष्ट किये गये फसलों का सर्वेक्षण वनविभाग ने कर रखा है। लेकिन अब तक संबंधित नुकसानग्रस्त किसानों को वित्तीय मदद नहीं मिल पायी है। अनेक प्रकार की मशक्कत कर किसानों ने अपने खेतों की फसलों को पूरी तरह काट लिया है। किसानों के हाथ में उनकी मेहनत आ गयी है। लेकिन अब तक सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो पाये है। तहसील में आदिवासी विविध कार्यकारी सहकारी संस्थाओं के माध्यम से सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू किये जाते है। इन केंद्राें का उद्घाटन भी कर दिया गया है। लेकिन आदिवासी विकास महामंडल और मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा इन केंद्रों में बारदाना उपलब्ध नहीं कराने से केंद्र शुरू नहीं हो पाये है। अपना धान खरीदी केंद्रों में बेचने के लिए किसानों ने ऑनलाईन तरिके से अपने सात-बारा प्रमाणपत्र का पंजीयन भी कर रखा है। मात्र 8 दिनों की अवधि पूर्ण होने के बाद भी अब तक खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से अब किसानों को निजी व्यापारियों को धान की बिक्री करनी पड़ रहीं है। निजी व्यापारी किसानों से 14 से 15 रूपये प्रति किलो के हिसाब से धान की खरीदी कर रहें है। जिसमें किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकारी केंद्रों में यहीं धान प्रति क्विंटल 1 हजार 900 से 2 हजार रूपयों तक खरीदी किया जाता है। खरीफ सत्र के शुरूआती और अंतिम दिनों में भी किसानों को संकटों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू कर किसानों को नुकसान से बचाने की मांग की जा रहीं है।
Created On :   16 Nov 2022 1:11 PM IST












