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एग्जाम के लिए बच्चों की जान जोखिम में डालने के पक्ष में नहीं हैं अभिभावक

डिजिटल डेस्क,मुंबई। दसवीं की परीक्षा से जुड़ा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचने के बाद अब अभिभावक संगठन भी अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं। अभिभावक कोरोना संकट के चलते दसवीं की परीक्षा के प्रत्यक्ष आयोजन के पक्ष में नहीं है। इसलिए इंडिया वाइड पैरेंट एसोसिएशन ने अदालत जाने का फैसला किया है।
एसोसिएशन की अध्यक्ष व पेशे से वकील अनुभा सहाय ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों की जान जोखिम में डालने के पक्ष में नहीं है। कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते परीक्षा को रद्द करने का निर्णय किया गया है। मेडिकल विशेषज्ञों ने भी आगाह किया है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरा हो सकता हैं। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों की जान का जोखिम नहीं ले सकते हैं। इसलिए पैरेंट एसोसिएशन दसवीं की परीक्षा के प्रत्यक्ष रूप से आयोजित किए जाने के पक्ष में नहीं है। इस बारे में किए गए सर्वेक्षण में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आए हैं। पिछले महीने राज्य सरकार ने कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द करने का निर्णय किया था। जिसके खिलाफ पुणे निवासी व सेवानिवृत्त प्रोफेसर धनजंय कुलकर्णी ने 13 मई को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को एक तय समय सीमा के भीतर कक्षा दसवीं की परीक्षा लेने के बारे में निर्देश दिया जाए।
कुलकर्णी की मुताबिक दसवीं की परीक्षा रद्द करना बच्चों के अकादमिक हित में नहीं है। इसलिए सरकार को अगस्त-सितंबर तक स्थिति सामान्य होने तक इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने दसवीं के साथ 12 वी की परीक्षा क्यों नहीं रद्द की है। क्योंकि इसके पीछे कारण है। यदि परीक्षा ही नहीं होगी तो बच्चों को अंकसूची कैसे दी जाएगी। जबकि राज्य सरकार विद्यार्थियों के साल भर के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन के बारे में विचार कर रही हैं। कुलकर्णी के वकील अधिवक्ता उदय वरुनजेकर ने बताया कि हाईकोर्ट ने कुलकर्णी की याचिका पर 17 मई को सुनवाई रखी है।
Created On :   15 May 2021 7:25 PM IST