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मरीजों को नहीं मिल पाया सरकारी योजना का लाभ ,मेयो अस्पताल में 8000 संक्रमितों में से केवल 5 को ही मिला क्लेम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए राज्य प्रशासन ने महात्मा ज्याेतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत (एमजेएफएवाय) इंश्योरेंस दिया था। इसके अनुसार, मरीजों के इलाज के बाद उनकी पूरी फाइल के साथ राशन कार्ड और अाधार कार्ड जोड़कर भेजना है, जिससे इलाज का पैसा योजना के तहत अस्पताल को दिया जाता। मेयो अस्पताल में अब तक करीब 8 हजार कोरोना संक्रमितों का इलाज किया गया, लेकिन केवल 5 लोगों का ही क्लेम हो पाया। पूरे मामले में सूत्रों के हवाले से खबर यह है कि अस्पताल प्रशासन महात्मा ज्याेतिबा फुले जन आरोग्य योजना को भूल गया। हाल ही में जब स्वास्थ्य मंत्री ने एक बैठक लेकर इस योजना में इलाज क्यों नहीं करने की बात पूछी तब जाकर योजना याद आई और अब मरीजों के इलाज होने के बाद उनसे कागजात लेकर क्लेम किया जा रहा है।
मेयो रह गया पीछे
शुरुआत में शहर में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल और इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में ही कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा था। इसके बाद अन्य शासकीय व निजी अस्पतालों में भी इलाज शुरू किया गया। सभी शासकीय अस्पतालों और कुछ निजी अस्पतालों में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत मरीजों का इलाज करने की सुविधा है। दूसरे सभी अस्पतालोें ने इलाज के पैसे क्लेम कर लिए, लेकिन मेयो अस्पताल अब तक नहीं कर पाया है। केवल 5 लोगों का क्लेम किया है।
नहीं ले पाए दस्तावेज
अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि कोरोना के आने के बाद एमजेएफएवाय योजना में अलग कैटेगरी बना कर बदलाव किए गए, जिसके तहत इंश्योरेंस अगस्त माह से शुरू हुआ। क्लेम के लिए डॉक्यूमेंट भी मरीजों से अगस्त से लेना शुरू हुए, लेकिन अगस्त माह में संक्रमितों की संख्या अचानक बढ़ने लगी। आपातकाल स्थिति में मरीजों को भर्ती किया गया और डिस्चार्ज किया गया। ऐसे में कई मरीजों के दस्तावेज नहीं लिए गए। साथ ही कुछ लोगों ने अपनी जानकारी भी गलत दी। क्लेम करने में सबसे बड़ी परेशानी डॉक्यूमेंट की आई।
अब बता रहे मरीज ही जिम्मेदार
अस्पताल का तर्क है कि योजना में पंजीयन के लिए राशन कार्ड और आधार कार्ड होना आवश्यक है। शुरुआत में मरीजों ने घर और क्षेत्र सील हाेने के डर के कारण अपनी जानकारी सही नहीं दी। कई मरीजों ने अपना पता और फोन नंबर गलत दिया। कुछ लोगों ने फोन नंबर दिए, लेकिन दस्तावेज देने से इनकार कर दिया। कुछ लोगों ने सीएए और एनआरसी के डर से दस्तावेज देने के लिए साफ मना कर दिया। अस्पताल प्रशासन ने एक व्यक्ति को लोगों से बात करने और उनके घरों से दस्तावेज लेने के लिए नियुक्त किया है। उस व्यक्ति को भी परिजन फटकार कर भगा रहे हैं।
9 करोड़ 60 लाख मेयो ने अपना खर्च किया
एक सामान्य कोरोना मरीज के इलाज के लिए प्रतिदिन 2 से 3 हजार का खर्च आता है। इसके अतिरिक्त मरीज की स्थिति थोड़ी भी खराब होती है, तो उसके अनुसार 6 हजार रुपए प्रतिदिन का खर्च रहता है जिसमें सभी खर्च शामिल हो जाते हैं। इसके अनुसार यदि एक मरीज 4 दिन भी भर्ती रहता है तो औसतन 12 हजार का खर्च मान सकते हैं। मेयो अस्पताल में 8 हजार मरीज भर्ती हुए। इस हिसाब से कम से कम 9 करोड़ 60 लाख का खर्च अस्पताल प्रशासन ने उठाया है, जबकि असल खर्च इससे कई गुना ज्यादा है।
8 हजार कोरोना संक्रमितों का इलाज
हमारे अस्पताल में अब तक करीब 8 हजार कोरोना संक्रमितों का इलाज किया गया। क्लेम के लिए राशन कार्ड और आधार कार्ड होना आवश्यक है। कोरोना मरीज आपातकाल स्थिति में रहते हैं, ऐसे में मरीजों के दस्तावेज लेने का समय नहीं रहता है।
-डॉ. सागर पांडे, उप-अधीक्षक, मेयो अस्पताल
125 मरीजों के क्लेम की प्रक्रिया जारी
योजना के तहत क्लेम के लिए अब 840 (ईटीए) इमरजेंसी टेलिफोनिक अप्रवूल लिए गए हैं। मरीजों से बात कर उनके दस्तावेज देने की बात हुई है। इनमें से 184 रजिस्ट्रेशन योजना में कंफर्म हुए हैं। इन 184 रजिस्ट्रेशन में से 125 मरीजों के इलाज के क्लेम के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ने का अप्रूवल मिल चुका है। रजिस्ट्रेशन के बाद अप्रूवल होने में करीब एक हफ्ते का समय लगता है।
Created On :   26 Nov 2020 11:06 AM IST