राम-भरत भेंट की गवाही दे रहा पवनार का शिल्प

Pavanars craft giving testimony of Ram-Bharat meeting in wardha
राम-भरत भेंट की गवाही दे रहा पवनार का शिल्प
राम-भरत भेंट की गवाही दे रहा पवनार का शिल्प

डिजिटल डेस्क ,वर्धा। समीपस्थ पवनार ऐतिहासिक दर्जा रखता है। पवनार स्थित परमधाम आश्रम के परिसर में बनाए गए मंदिर में राम-भरत भेंट का दृश्य दर्शाने वाला शिल्प प्रतिष्ठापित किया गया है। मान्यता है कि यह शिल्प डेढ़ हजार वर्ष पूर्व वाकाटक कालीन राज का है। यह शिल्प आज भी राम-भरत भेंट की गवाही दे रहा है।

विनोबा आश्रम  के मंदिर में रखा शिल्प
वर्तमान समय का पवनार वाकाटक के समय में राजधानी था। यह बात उत्खनन में मिले ताम्रपत्र से स्पष्ट होती है। इस जगह पर धाम नदी के तट पर आचार्य विनोबा भावे द्वारा स्थापित किया गया आश्रम है। इस आश्रम के निर्माणकार्य के समय की जा रही खुदाई में इस परिसर से कुछ शिल्प व मूर्ति के अवशेष मिले थे। इसमें से कुछ शिल्प पवनार आश्रम में सुरक्षित रखे गए हैं। इनमें भरत-राम भेंट का दृश्य दर्शानेवाले शिल्प का समावेश है। वाकाटक कालीन यह शिल्प विनोबा आश्रम परिसर के मंदिर में रखा गया है। इस शिल्प में पांच प्रतिमा अंकित की गई है जिसमें पहली प्रतिमा अर्ध खंडित है तथा अन्य चार मूर्तियां स्पष्ट दिखाई देती है।

स्पष्ट दिखते हैं भाव
शिल्प की बाईं ओर सीता, राम, भरत व लक्ष्मण हैं। इस शिल्प के निर्माण को डेढ़ हजार वर्ष बीतने के कारण यह प्रतिमा काफी अस्पष्ट सी दिखती है किंतु मुख के भाव साफ दिखाई देते हैं। बाईं ओर सबसे पहली मूर्ति अर्धछिन्न है। उस मूर्ति के हाथ में गदा है। इससे यह मूर्ति हनुमानजी की मूर्ति होने की बात स्पष्ट होती है। दूसरी प्रतिमा सीता की होकर उसने दाहिने हाथ से श्रीराम का हाथ पकड़ रखा है। राम भरत से बात कर रहे हैं। राम जी का हाथ भरत के हाथ में है। राम के मुख पर गंभीरता झलक रही है और भरत के चेहरे पर खुशी के भाव हैं। लक्ष्मण के मुख पर उदासीनता के भाव दिखाई दे रहे हैं। सभी ने काफी सामान्य वेशभूषा धारण कर रखी है। यह शिल्प राम-लक्ष्मण वन से चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद आने का दृश्य है।

Created On :   29 March 2018 3:49 PM IST

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