रोग-राई ईडा पीडा घेऊन जागे मारबत, नागपुर में धूमधाम से निकली ‘काली-पीली मारबत’

रोग-राई ईडा पीडा घेऊन जागे मारबत, नागपुर में धूमधाम से निकली ‘काली-पीली मारबत’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश का एकमात्र अनोखा उत्सव नागपुर में मनाया जाता है।  ‘मारबत’ और बड़ग्या सामाजिक बुराई और कुरीतियों पर प्रहार करते हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी निकाले गए।  बड़े पोले के दूसरे दिन शहर में काली-पीली मारबत निकलती है।  इस बार भूरी (सफेद) मारबत भी इसमें शामिल की गई है। मध्य नागपुर के नेहरू पुतले से काली मारबत और जागनाथ बुधवारी से पीली मारबत  निकली । मारबत के साथ बड़ग्या इसमें विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मौजूदा समस्या, अनिष्ठ प्रथा और सामाजिक कुरूतियों पर प्रहार कर मारबत और बड़ग्या ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।

मनपा की कार्रवाई पर प्रहार
इस बार शहर में अनधिकृत धार्मिक स्थलों के खिलाफ चल रही मनपा की कार्रवाई को बड़ग्या ने अपना निशाना बनाया । मस्कासाथ चौक स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज बड़ग्या समिति ने इसे मंदिरों को तोड़नेवाली मुगलशाही सरकार का नाम दिया।

महंगाई पर भी चोट
इसके अलावा महंगाई भी इसमें बड़ा मुद्दा है। बड़ग्या के मार्फत सिलेंडर एक हजार रुपए और रसोई गैस 100 रुपए करने की मांग कर सरकार पर कटाक्ष किया गया।

विकास कार्य पर कटाक्ष
लालगंज चकना चौक स्थित भाजपा बड़ग्या उत्सव समिति ने शहर में चल रहे विकास कार्य और भ्रष्टाचार पर बड़ग्या तैयार कर मनपा को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया।

 


अच्छे दिन का सपना
इसी तरह देश को अच्छे दिन का सपना दिखाने वाला बड़ग्या भी रैली में आकर्षण का केंद्र रहा।

दुष्कर्मी भी निशाने पर
 देश को शर्मसार करने वाले दुष्कर्मियों को भी निशाना बनाया गया।

...और भी हैं ज्वलंत मुद्दे
 ऐसे अनेक विविध ज्वलंत मुद्दों को लेकर मनपा, केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए उठाए गए।

काली - पीली के बाद अब भूरी मारबत ने ध्यान खींचा
ऐतिहासिक परंपरा में काली-पीली मारबत के साथ अब भूरी (सफेद) मारबत भी जुड़ गई है। पहली बार भूरी मारबत रैली में शामिल हुई। जेंडर इक्विलिटी आर्गनाइजेशन के सचिव व संस्थापक विक्रांत अंभोरे ने भूरी मारबत की संकल्पना लाई है। उनका कहना है कि  देश में भेदभावपूर्ण कानून (494-अ) घरेलू हिंसा, बलात्कार, विनयभंग, सीआरपीसी 125, तलाक, दहेज, चाइल्ड कस्टडी आदि का आधार अनेक झूठे प्रकरणों में पुरुषों को पुलिस द्वारा फंसाया जाता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट अनुसार,  पारिवारिक कलह से देश में प्रत्येक 9 मिनट में 1 पुरुष आत्महत्या करता है। मारबत से प्रेरणा लेकर ऐसे पक्षपाती कानून और दुरुपयोग कर निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने वालों का विरोध करने के लिए भूरी मारबत की संकल्पना  है।

मारबत उत्सव में छाए रहे मुद्दे
मारबत उत्सव परंपरागत तौर से यहीं से ही अन्य क्षेत्रों में फैला है। मारबत रैली निकाली गई। शहर भर में जगह जगह मारबत का पुतला फूंका गया था। लोग उत्सव का आनंद ले रहे थे। लिहाजा बंद प्रदर्शन को लोगों का भी सहयोग मिला। काली-पीली मारबत उत्सव में महंगाई, पीएनबी घोटाला, एसएनडीएल की ज्यादति के मुद्दे छाए रहे। शासन-प्रशासन की नीतियों पर करारा प्रहार किया गया। सबसे ज्यादा पेट्रोल, डीजल, सिलेंडर की बढ़ी कीमत को लेकर आक्रोश दिखा। पहली बार जेंडर इक्वलिटी ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से भूरी मारबत निकाली गई। इस माध्यम से महिलाओं के अत्याचारों को उजागर किया गया। महिलाओं के लिए बने कानून के दुरुपयोग को रोकने की मांग हुई।

Created On :   10 Sep 2018 6:31 AM GMT

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