दिलों में छा गई राजस्थानी संस्कृति, विदा हुए कलाकार

People of Maharashtra loved the Rajasthani culture, festival ended
दिलों में छा गई राजस्थानी संस्कृति, विदा हुए कलाकार
दिलों में छा गई राजस्थानी संस्कृति, विदा हुए कलाकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राजस्थानी महोत्सव  का रंगारंग समापन हुआ। समारोह के अंतिम दिन ‘फिर मिलेंगे’ कहकर सभी कलाकारों ने विदाई ली। श्री बीकानेरी माहेश्वरी पंचायत युवा समिति व मारवाड़ी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में महोत्सव का आयोजन दमक्षेसां केन्द्र परिसर में किया गया था। समापन अवसर पर प्रमुख अतिथि विधायक सुनील केदार, अभिजीत वंजारी, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के डायरेक्टर राजेश बागड़ी व कॉन्फिडेंस ग्रुप के अध्यक्ष नितीन खारा उपस्थित थे। कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रकल्प सहयोजक  प्रतीक बागड़ी ने रखी।  युवा समिति सचिन दीपक मोहता ने कार्यक्रम की सफलता के लिए पंचायत व मारवाड़ी फाउंडेशन का आभार माना। 6 दिवसीय महोत्सव में नगर वासियों ने राजस्थान की संस्कृति से परिचित होते हुए राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद लिया। इसमें दाल-बाटी, कचौड़ी, गोलगप्पे, राबड़ी, बीकानेरी छत्ता आइसक्रीम प्रमुख था। समारोह के अंतिम दिन लोगों ने खरीदारी भी की।

इनका रहा योगदान
महोत्सव को सफल बनाने में  प्रकल्प सचिव राज चांडक, मनुज मुंधड़ा, प्रणय डागा, मीणा बिन्नानी, जागृति मोहता, विशाखा डागा, राहुल चांडक, सुमित मोहता, वंदना मुंधड़ा, मंजू मोहता, शुभा बागड़ी, रोहित दुजारी, राधिका राठी, ज्योति कोठरी आदि ने विशेष परिश्रम किए।

105 कलाकारों ने दी प्रस्तुति  
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के 105 कलकारों ने अपनी आकर्षक प्रस्तुति से संतरानगरी पर अमिट छाप छोड़ी। समापन के अवसर पर प्रस्तुति देते समय कलाकार गदगद अनुभव कर रहे थे। नागपुरवासियों के प्रेम के प्रति कार्यक्रम अधिकारी सुनील टांक ने कृतज्ञता व्यक्त की।

श्रोताओं ने लिया संगीत का आनंद
शहर में एक संगीत समारोह में दर्शकों ने तबला वादन का आनंद लिया। समारोह की शुरुआत बिलासपुर के तबला वादक विश्वास मौंदेकर के तबला वादन से हुई। उनके साथ वायलिन पर लहरा संगत शिरीष भालेराव ने की। बाल कलाकार अथर्व भालेराव ने भी वायलिन वादन की प्रस्तुति दी। पं. कोलबाजी पिंपलघरे स्मृति संगीत समारोह का आयोजन उमरेड रोड स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में किया गया। उद्घाटन तथा दीप प्रज्वलन किशोर कुमरिया ने किया। सिद्धार्थ मिश्रा ने शास्त्रीय गायन किया। उनके साथ हार्मोनियम पर महेन्द्र कदम ने संगत की। समारोह का समापन वायलिन वादक प्रभाकर धाकडे, शहनाई वादक विज्ञानेश्वर खडसे, तबला वादक राम खडसे द्वारा राग पुरिया कल्याण विलंबित एक ताल में जुगलबंदी की। अंत में कजरी और भैरवी धुन से समारोह का समापन किया गया। समारोह के अवसर पर कोलबाजी पिंपलघरे के शिष्य ज्ञानेश्वर महाले का सम्मान प्रभाकर धाकड़े ने किया। संचालन दिगंबर पिंपलघरे ने माना।
 

Created On :   27 Dec 2018 9:50 AM GMT

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