त्वचा रोग से पीड़ित व्यक्ति बीआरओ में नौकरी के लिए पात्र नहीं

Person suffering from skin disease not eligible for job in BRO
त्वचा रोग से पीड़ित व्यक्ति बीआरओ में नौकरी के लिए पात्र नहीं
बांबे हाईकोर्ट का फैसला  त्वचा रोग से पीड़ित व्यक्ति बीआरओ में नौकरी के लिए पात्र नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए निर्धारित गणवेश के पहनावे में रुकावट पैदा करनेवाला त्वचा विकार सेवा के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। लिहाजा ऐसे विकार (केलाइड) से ग्रस्त व्यक्ति को बीआरओ में नौकरी के लिए पात्र नहीं माना सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने सैय्यद कचरुद्दीन की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि याचिकाकर्ता सशस्त्र बल में नियुक्ति के तय मानकों को पूरा नहीं करता है। इसलिए बीआरओ में ड्राइवर के पद पर नियुक्ति का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।  जबकि त्वचा विकार के चलते नौकरी के लिए अपात्र ठहराने पर याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसे सिर्फ वाहन चलाने का काम करना है ऐसे में इस रोग से संबंधित उसकी बीमारी वाहन चलाने में अवरोध नहीं बन सकती है। इसलिए उसे ड्राइवर के पद के लिए थल सेना के मेडिकल रिव्यू बोर्ड द्वारा अपात्र ठहराने वाले 4 मई 2019 के  फैसले को रद्द कर दिया जाए।  मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति वीजी बिष्ट की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता क्रांति एल.सी ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने सारी परीक्षाएं पास की हैं लेकिन उन्हें मेडिकल टेस्ट में जांच के बाद अपात्र घोषित कर दिया गया है।

 याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक विशेषज्ञ डाक्टरों के मुताबिक मेरे मुवक्किल की बीमारी ड्राइवर की नौकरी में अवरोध नहीं पैदा कर सकती है।   वहीं बीआरओ के वकील ने खंडपीठ के सामने दावा किया कि बीआरओ का मुख्य कार्य दुर्गम व पिछड़े इलाकों में खास तौर से सेना के लिए देश के पुर्वोत्तर इलाके में सड़क व पुल बनाना है। ऐसे इलाके कई बार बर्फ से ढके होते हैं और वहां की स्थिति काफी कठोर व जलवायु की स्थिति काफी गंभीर होती है। इन परिस्थितियों के मदद्देनजर बीआरओं में नौकरी के लिए इच्छुक व्य़क्ति का नियुक्ति से जुड़े मानकों को पूरा करना जरुरी है। चूंकि सेना से जुड़ी सेवा अलग होती है, इसलिए उसकी नियुक्ति से संबंधित मानक सिविल सेवा से भिन्न होते हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता को जो बीमारी है वह धीरे-धीरे बढ़ती है। यह बीमारी मिलिटरी के लिए निर्धारित पहनावे व उपकरण में परेशानी पैदा कर सकती है। जिससे सेवा का संतोषजनक प्रदर्शन प्रभावित होता है। याचिकाकर्ता के दावे की दो बार जांच की गई है। इसलिए मामले से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।  मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी प्राधिकरण पर किसी प्रकार की  दुर्भावना दिखाने का आरोप नहीं लगाया है। मामले में रिव्यू मेडिकल बोर्ड ने दोबारा फैसला लिया है और याचिकाकर्ता को नौकरी के लिए अपात्र ठहराया है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है

Created On :   24 Feb 2022 7:09 PM IST

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