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जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज की नीखरा की याचिका, कहा- SBC अध्यक्ष पद पर उपाध्याय का चुनाव सही

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। करीब 28 वर्षों तक मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल में अध्यक्ष रहे रामेश्वर नीखरा को जबलपुर हाईकोर्ट से झटका लगा है। अध्यक्ष पद से गंगा प्रसाद तिवारी द्वारा दिये गए इस्तीफे के बाद शिवेन्द्र उपाध्याय के अध्यक्ष चुने जाने को चुनौती देने वाली रामेश्वर नीखरा की याचिका हाईकोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी। 25 मिनट तक चली सुनवाई के बाद अपना विस्तृत फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने कहा कि हम ऐसी याचिका पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते, जिसमें याचिकाकर्ता खुद निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान गैरहाजिर रहे। अध्यक्ष का निर्वाचन कॉउन्सिल के 25 में से 22 सदस्यों ने सर्वसम्मति से लिया था। ऐसे में बहुमत के खिलाफ एक असंतुष्ट सदस्य की याचिका पर हम दखल नहीं दे सकते।
गौरतलब है कि बीते 3 फरवरी को स्टेट बार कॉउन्सिल में आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में गंगा प्रसाद तिवारी ने इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद सदस्यों ने उपाध्याय को अध्यक्ष चुना था। नीखरा ने इस निर्वाचन को इस आधार पर चुनौती दी थी कि बैठक के एजेन्डे में नए चुनाव का जिक्र नहीं था। यदि ऐसा होता तो वो भी बैठक में हाजिर होकर अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ सकते थे। नीखरा की ओर से दी गईं दलीलों को नाकाफी पाते हुए बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान स्टेट बार काॅउन्सिल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता जुविन प्रसाद हाजिर हुए।
सदस्यता से भी अयोग्य हो चुके हैं नीखरा
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 20 फरवरी को याचिका दायर करने के बाद नीखरा को राज्य अधिवक्ता परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा चुका है। परिषद के मौजूदा अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय की अध्यक्षता में विगत 24 फरवरी को रीवा में आयोजित परिषद की सामान्य सभा की बैठक मेें नीखरा की गैरहाजिरी को गंभीरता से लेते हुए नीखरा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।
कोर्ट रूम लाइव:
बैंच- यह याचिका किस आधार पर दायर की गई, याचिकाकर्ता कौन है?
पैरोकार- याचिकाकर्ता स्टेट बार काॅउन्सिल में 27 वर्षों तक चेयरमैन रह चुके हैं। वर्तमान में भी वो काॅउन्सिल के सदस्य हैं।
बैंच- जब 25 में से 22 सदस्यों ने शिवेन्द्र उपाध्याय को चुन लिया, फिर आपको क्या तकलीफ है?
पैरोकार- मायलॉर्ड, हमें निर्वाचन से नहीं अपितु निर्वाचन के लिए बिना नोटिस दिए बैठक में हुई प्रक्रिया से तकलीफ है।
बैंच- चुनाव तो बहुमत से हुआ है। कोई कानून का उल्लंघन हुआ हो तो वो बताएं?
पैरोकार- बार कॉउन्सिल ऑफ इण्डिया के अलावा स्टेट बार काॅउन्सिल के नियमों में अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया दी गई है।
बैंच- तो क्या यह नहीं माना जा सकता कि बैठक में अचानक कोई इस्तीफा दे और उसकी जगह पर नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाए?
पैरोकार- मायलॉर्ड, बैठक शुरू होने के महज आधे घण्टे के भीतर इस्तीफा और नया चुनाव हो गया, इससे लगता है कि कुछ गड़बड़ है।
बैंच- बैठक में आपके मुवक्किल खुद गैरहाजिर रहे। अब चूंकि नया निर्वाचन नियमों के तहत हुआ तो इसमें क्या गलत है?
पैरोकार- लॉर्डशिप, यहां बात पारदर्शिता की है। यदि नए चुनाव की सूचना होती तो याचिकाकर्ता भी अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ सकते थे।
बैंच- इस मामले में आम सहमति से, बहुमत से और एकमतेन निर्णय से अध्यक्ष का चुनाव हुआ है। ऐसे में मीटिंग से गैरहाजिर सदस्य बहुमत की खिलाफत नहीं कर सकते।
Created On :   26 Feb 2018 10:50 PM IST