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फार्मासिस्ट नदारद , 127 दवा दुकानों पर निलंबन की कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एफडीए का औषधि विभाग नियमों का उल्लंघन कर रहे दवा दुकानों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। गत 3 माह में कुल 127 दुकानों पर 5 से 30 दिन तक के लिए लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई हुई है। ज्यादातर मामलों में दुकानों से फार्मासिस्ट को नदारद पाया गया।
नियम यह है
नियमानुसार दवा के बिल पर फार्मासिस्ट का हस्ताक्षर जरूरी है और इस कारण किसी और के भरोसे दुकान को नहीं छोड़ा जा सकता, लेकिन शहर में कई दुकानों पर ठीक इसके उल्टा हो रहा है। फार्मासिस्ट नदारद रहते हैं और दुकान कोई और चलाता है।
लाइसेंस निलंबित
नागपुर जिले की बात करें तो कुल 4 हजार 8 सौ दवा की दुकानें हैं। औषधि विभाग ने गत 3 माह में 127 दवा दुकानों पर कार्रवाई की। नियम का उल्लंघन करने वालों के लाइसेंस निलंबित किए गए।
विरोधाभासी स्थिति शहर में
ज्यादातर कार्रवाई में पाया गया कि लाइसेंस रद्द होने के बावजूद उसे नियमित और नवीनीकरण कराए बगैर दुकान चलाई जाती है।
दुकान का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है, लेकिन कई दुकानदार रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराते। कोई ग्राहक इन बातों पर ध्यान देता नहीं।
फार्मासिस्ट के हस्ताक्षर का बिल देना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। ग्राहक फार्मासिस्ट की उपस्थिति पूछते भी नहीं।
नियमानुसार एक्सपायरी दवाओं के लिए एक अलग बॉक्स होना जरूरी है। लेकिन कई दुकानदार ही इस नियम से बेखबर रहते हैं।
वेटरिनरी मेडिसिन को अलग बॉक्स में रखना जरूरी है, लेकिन फ्रिज में रखने वाली दवा को कई दुकानों में बाहर पाया जाता है।
बिना डॉक्टर की चिट्ठी से दवाईयां देना नियमों के बाहर होता है। बावजूद इसके कई दवा विक्रेता मरीजों के कहने पर दवा दे देते हैं।
ग्राहक ध्यान रखें
हमारी ओर से दवा दुकानों पर लगातार कार्रवाई की जाती है। अब तक हुई कार्रवाई में ज्यादातर मामलों में फार्मासिस्ट दुकान से नदारद पाए गए हैं। ग्राहकों को भी चाहिए कि वह बिना फार्मासिस्ट के हस्ताक्षर वाले बिल के दवा न लें, ताकि उन्हें सही दवा मिल सके।
-डॉ. पी.एम बल्लाड़, सहायक आयुक्त, अन्न औषधि विभाग नागपुर
कार्रवाई केवल दवा दुकानदारों पर
एफडीए की ओर से दवा दुकानदारों पर छोटी-छोटी बातों पर कार्रवाई होती रहती है, लेकिन उनकी कार्रवाई केवल दवा दुकानदारों पर हो रही है। फार्मासिस्ट कोई ‘झोलाछाप’ नहीं हैं, वह समाज की सेवा में हर वक्त उपलब्ध रहनेवाला एक वर्ग है। कुछ डॉक्टरों द्वारा खुद के क्लीनिक से मरीजों दवा दी जाती है, जबकि नियमानुसार केवल आपातकालीन स्थिति में ही डॉक्टर ऐसा कर सकते हैं। बावजूद इसके शहर में कई जगह पर डॉक्टर अपने ही क्लीनिक से दवा दे रहे हैं। संबंधित विभाग को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
-अजय सोनी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय फार्मासिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन, नागपुर
Created On :   12 Feb 2021 2:03 PM IST