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ऑनलाइन वायवा से पीएचडी को मिली गति, 900 से अधिक को मिलेगी डिग्री

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय इस बार 23 अप्रैल को प्रस्तावित अपने दीक्षांत समारोह में इतनी पीएचडी डिग्रियां देने जा रहा है, जितनी यूनिवर्सिटी ने पिछले पांच वर्षों में प्रदान नहीं की है। जानकारी के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने अब तक 791 अभ्यर्थियों को पीएचडी नोटिफाय कर दिया है। अभी अनेक अभ्यर्थियों की पीएचडी की घोषणा संभावित है। यूनिवर्सिटी अधिकारियों के आकलन के अनुसार इस बार पीएचडी का आंकड़ा 900 को पार कर सकता है। इस वर्ष इतनी बंपर पीएचडी के पीछे यूनिवर्सिटी द्वारा अपनाई गई ऑनलाइन वायवा प्रणाली मानी जा रही है। कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में भी राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रक्रिया जारी रही। अभ्यर्थियों का प्रत्यक्ष (ऑफलाइन) वायवा न ले पाने के कारण नागपुर यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन वायवा लेने की तरकीब निकाली। इससे हुआ ये कि जिस प्रत्यक्ष वायवा में एक लंबा समय व्यतीत होता था, लेकिन ऑनलाइन वायवा ने यूनिवर्सिटी की पीएचडी प्रक्रिया को गति प्रदान की है।
जून में हुआ था ट्रायल : राज्य सरकार के निर्देश के बाद नागपुर विवि ने जून 2020 में पीएचडी ऑनलाइन वायवा का ट्रायल लिया था। इसमें 5 अभ्यर्थियों का वायवा लिया गया। एक माह में वायवा लेकर परिणाम जारी करने का उद्देश्य रखा गया था। उल्लेखनीय है कि विवि से पीएचडी कर रहे अभ्यर्थियों थीसिस जमा करने के बाद कई कई वर्षों तक वायवा के लिए इंतजार करना पड़ता है। कई बार शोधार्थियों के शिष्टमंडल ने कुलगुरु से मिल कर शिकायत सौंपी थी। एक बार थीसिस करने के बाद उसका मूल्यांकन करने के लिए विवि 2 से 4 वर्षों तक का समय लगता है, जबकि यूजीसी के नियमों के मुताबिक एक बार थीसिस जमा होने 6 माह के भीतर वायवा होना चाहिए। थीसिस पर मूल्यांकनकर्ताओं की रिपोर्ट सकारात्मक आने के बाद वायवा लगने में लंबा समय लग जाता है। इस कवायद में कई वर्ष बीत जाते हैं, लेकिन ऑनलाइन वायवा करके विवि इस विलंब को समाप्त करना संभव हो सका है।
Created On :   9 March 2021 1:48 PM IST