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MP: गांव की खाली जमीन पर ग्रामीणों को दिये जाएंगे प्लॉट

डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश में अब गांव के पास उसकी खाली पड़ी भूमि पर उसी गांव के जरुरतमंद ग्रामीणों को सरकार प्लॉट देगी। इसके लिए 58 साल पहले बनी मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 244 के तहत 6 जनवरी 1960 को बने आबादी स्थानों के निराकरण संबंधी नियमों में संशोधन किया है, जो 29 दिसंबर के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जाएंगे।
गौरतलब है कि 57 साल पहले बने नियमों में प्रावधान है कि गांव के जिन व्यक्तियों के पास उनके नाम के प्लॉट नहीं हैं अथवा गांव के घर में माता-पिता के साथ छोटे से बड़े हो गए हैं और विवाह करने के बाद उन्हें अतिरिक्त आवास की जरुरत है, उन्हें ये प्लॉट दिए जाते हैं। ये प्लॉट ग्राम पंचायत चिन्हित कर वितरित करती है तथा इनका न्यूनतम आकार 12 गुणित 15 मीटर हो सकेगा। इसके अलावा इन प्लॉटों में मुख्य मार्ग 6 मीटर की चौड़ाई वाला हो सकेगा और गलियों की चौड़ाई 4.50 मीटर से कम नहीं होगी।नियमों में संशोधन इसलिए करना पड़ा है क्योंकि 57 साल पहले बने इन नियमों में हरिजन शब्द का उल्लेख है जोकि अब प्रचलित नहीं है तथा इसके स्थान पर अनुसूचित जाति शब्द कर दिया गया है। इसके अलावा इसमें नया भू-अर्जन कानून शब्द जोड़ा गया है क्योंकि भू-अर्जन का पुराना कानून खत्म हो चुका है।
एक नया संशोधन यह भी किया गया है कि जिस दंपती को गांव में ये प्लॉट दिए जाएंगे। वे पति एवं पत्नी दोनों के संयुक्त नाम से होंगे तथा उनके द्वारा निर्धारित प्रीमियम अदा करने पर उस प्लॉट के भूमि स्वामी होने का अधिकार भी मिल जाएगा। राज्य सरकार आगे यह भी प्रावधान लाने वाली है कि यदि संबंधित गांव में भूमि खाली नहीं है तो किसी अन्य गांव की रिक्त भूमि में ये प्लॉट दिए जा सकें। इस सब कार्रवाई का उद्देश्य आवासहीनों को आवास के लिए भूमि प्रदान करना है।
राज्य भूमि सुधार आयोग सचिव अशोक कुमार गुप्ता का कहना है कि भू-राजस्व संहिता के तहत आबादी स्थानों के निराकरण संबंधी नियम भी बने हैं जिनके तहत गांव के जरुरतमंद लोगों को गांव की उसके पास खाली पड़ी भूमि पर आवासीय प्लॉट दिए जाते हैं।
Created On :   6 Dec 2017 11:59 AM IST