ठगी करने वालों को नहीं खोज पाई पुलिस, लगा चुके हैं लाखों की चूना

Police could not find those who cheated, have cheated lakhs
ठगी करने वालों को नहीं खोज पाई पुलिस, लगा चुके हैं लाखों की चूना
ठगी करने वालों को नहीं खोज पाई पुलिस, लगा चुके हैं लाखों की चूना

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  सरकारी नौकरी का झंासा देकर बेरोजगारों से 35.48 लाख रुपए ठगने का मामला उजागर हुआ है। ठगों का यह गिरोह अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय है। साइबर टीम इसकी जांच-पड़ताल कर रही है, लेकिन दो वर्ष बाद भी आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं।

सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया
आरोपियों ने निखिल को पॉवर ग्रिड में अभियंता की नौकरी दिलाने का झांसा दिया, लेकिन इसके लिए लाखांे रुपए की मांग की थी। मामला सरकारी नौकरी और लाखों रुपए के लेन-देन की बात होने से निखिल ने पिता की आरोपियों से मुलाकात करवाई थी। आरोपियों ने निखिल के पिता को भी झांसा दिया और निखिल को नौकरी लगाने के नाम पर उनसे 9 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए। नौकरी नहीं मिलने पर उन्होंने आरोपियों को रुपए वापस मांगे, तो आरोपियों ने 1 लाख रुपए वापस िकए, लेकिन बाकी रकम मिलना अभी भी बाकी है। इसी तरह से अन्य बेरोजगारों को रेलवे सहित अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे 35.48 लाख रुपए ऐंठ लिए गए हैं। 

हंगामा हुआ तो ताला लगाकर भाग गए
नौकरी नहीं मिलने पर बेरोजगारों ने क्रेस्टा के कार्यालय में हंगामा करना शुरू किया और पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो आरोपी दफ्तर को ताला लगाकर भाग गए। बेलतरोड़ी थाने में प्रकरण दर्ज कर इसकी जांच अपराध शाखा के साइबर सेल को सौंपी गई है। 

दफ्तर खोला और विज्ञापन दिया 
मनीष नगर निवासी यारामिली व्यंकटा सत्या श्यामसुंदर विरा प्रसाद राव यारामिली (56) और उसके साथियों ने क्रेस्टा टेक्नोलॉजी नाम से जॉब प्लेसमेंट दफ्तर शुरू िकया था। कुछ स्थानीय अखबारों में विज्ञापन  प्रकाशित कर उसमें बेरोजगारों के लिए नौकरी का सुनहरा अवसर होने का झांसा दिया था। विज्ञापन से प्रभावित खापरखेड़ा निवासी निखिल महेंद्र सहारे (24) और उसके परिचितों के अलावा अन्य युवाओं ने भी नौकरी के लिए क्रेस्टा के दफ्तर में संपर्क किया था। 

आंध्र प्रदेश से जुड़े तार, पर सुराग नहीं
प्रकरण के तार आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से जुड़े हैं। पुलिस का एक दल आरोपियों की तलाश में वहां पर भी गया था, लेकिन घटना के दो साल बाद भी आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है। निरीक्षक केशव वाघ मामले की जांच पड़ताल कर रहे हैं

ठग गिरोह का 4 साल बाद भी नहीं लगा कोई सुराग  
फर्जी नाम और पता बताकर ठगी में लिप्त अंतरराज्यीय गिरोह की दो महिला सहित चौदह आरोपियों का सालों बाद भी शहर पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला है। इन्होंने शहर के एक व्यक्ति को कैंसर की आयुर्वेदिक दवा खरीदी-बिक्री करने का झांसा देकर लाखों रुपए से चूना लगाया है। इस प्रकरण में दो आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन गिरोह के शेष सदस्यों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

पहले बनाया फेसबुक फ्रेंड
पांचपावाली क्षेत्र के सुजाता नगर निवासी धर्मेंद्र निकोसे (42) नामक व्यक्ति के फेसबुक पर ओत्ता मैसेस नामक महिला ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। बातचीत में ओत्ता ने बताया था कि, वह यू.के. के बैटर लाइफ फार्मास्युटिकल कंपनी में पदाधिकारी है। कंपनी यूरेलिका हर्बल बीज खरीदी-बिक्री करती है। इस दवा से कैंसर का इलाज किया जाता है। झांसे में अाया धर्मेंद्र यह बिजनेस करने के लिए तैयार हो गया। पश्चात ओत्ता ने अपना सहयोगी बताकर डॉ. टोनी मूर का मोबाइल नंबर और मेल आईडी दिया। टोनी ने भारत में बिजनेस करने के लिए सुनीता शर्मा नामक महिला का नंबर धर्मेंद को दिया।

पीड़ित मुंबई गया, पर खाली हाथ लौटा
सुनीता के कहने पर धर्मेंद्र ने विविध बैंक खातों में 12 लाख 40 हजार रुपए जमा किए। इसके बाद 15 मार्च 2017 को धर्मेंद्र को मुंबई बुलाया। धर्मेंद्र मित्र के साथ मुंबई पहुंचा, तो वहां उसे सीएसटी स्टेशन के पास कैफे कॉफी-डे में मोनिका नामक विदेशी महिला मिली, लेकिन उसने धर्मेंद्र को कैंसर की कोई दवा नहीं दी। 

यह हैं आरोपी
इस प्रकरण में लिप्त सुनीता, ओत्ता, डॉ. टोनी, मोनिका, साबा आमीर हसन, ठाण निवासी, सुग्रीव रंजन साहनी, मंुबई, शैलेंद्र पांडे, नवी मुंबई, उचेन्ना इगुवाचेलेयु, संतोष मिश्रा, सोहले खान, हैदराबाद, अनिल कदम, अजय शाहू, ठाणे और मनीष जैन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। यह गिरोह फर्जी नाम और पते, ठिकाने बताकर कई लोगों को चूना लगा चुके हैं। पूर्व में इनके दो साथी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लेकिन आरोपी अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगे है।

Created On :   11 Jun 2021 1:11 PM IST

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