पुलिस के पास है आधी रात को आने-जाने वालों से पूछताछ का अधिकारः हाईकोर्ट

Police has the right to interrogate the commuters at midnight: High Court
पुलिस के पास है आधी रात को आने-जाने वालों से पूछताछ का अधिकारः हाईकोर्ट
पुलिस के साथ विवाद करने वाले को नहीं मिली राहत पुलिस के पास है आधी रात को आने-जाने वालों से पूछताछ का अधिकारः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर नकेल कसने के लिए तैनात पुलिस दल द्वारा गाड़ी रोकने के लिए कहने के बावजूद कार न रोकने के मामले में बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आधी रात के समय चलने वाले वाहन चालकों से पूछताछ करने का पुलिस के पास अधिकार है। मामला पुलिसकर्मी के इशारे के बावजूद गाडी न रोकने व पुलिस के साथ हाथापाई करने वालों के साथ मौजूद आरोपी अभिषेक सिंह से जुड़ा है।   सिंह ने इस मामले को लेकर खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। किंतु कोर्ट ने सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। लिहाजा अब उसे सिर्फ इसलिए मुकदमे का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वह ऐसे लोगों के साथ मौजूद था। जिन्होंने पुलिस के इशारे के बावजूद पहले कार नहीं रोकी थी और बाद में पुलिसवालों से गाली गलौच व हाथापाई की थी। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि 2 फरवरी 2018 को विलेपार्ले इलाके में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे में पुलिस का एक दल शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए तैनात था। तभी रात के एक बजकर 50 मिनट पर एक कार वहां से गुजरी ।

पुलिसकर्मियों ने कार को रोकने का इशारा किया। लेकिन कार चालक तेज रफ्तार से वहां से निकल गया। पुलिस दल ने कार का पीछा किया। आखिरकार आगे जाकर पुलिस ने कार को रुकवाया। इस दौरान कार चालक ने पुलिस के बैरिकेट को ठोकर भी मारी। कार में सात लोग सवार थे जिसमें दो महिलाएं भी थीं। कार रुकने के बाद महिलाएं दूसरी कार से चली गई। जबकि दूसरी कार के दो लोग पहली कार में आ गए। जिसमें से एक सिंह भी थे। शुरुआत में कार में सवार लोगों ने जांच करवाने से इनकार कर दिया। आरोपियों ने पुलिस को घूस देने की भी कोशिश की। जांच के बाद आरोपी नशे में पाए गए। कार चालक भी नशे की हालत में मिला। इस दौरान आरोपियों ने जुर्माने के चलान पर भी दस्तखत करने में आनाकानी की। आरोपी मोबाइल फोन से घटना स्थल की शूटिंग भी करने लगे। आरोपियों ने पुलिस के साथ गाली गलौच की। इस बीच कंट्रोल रुम को फोन करके और पुलिस बल बुलाना पड़ा। इसलिए आरोपियों के खिलाफ सरकारी अधिकारी के कामकाज में अवरोध पैदा करने सहित विभिन्न आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया। इस दौरान जब वहां पर अतिरिक्त पुलिस दल पहुंचा तो आरोपियों ने उनके साथ भी हाथापाई की। हालांकि सिंह ने दावा किया था कि उन्होंने कुछ नहीं किया है वह सिर्फ वहां पर मौजूद थे। जिस कार को पुलिस ने रात के समय पहले रोका था। वह उसमें बाद में बैठा था।  रात के समय पुलिस ने बेवजह उन्हें रोका था। उसने नई कंपनी में नौकरी ज्वाइन की है। इसलिए उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया जाए।   मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ  कहा कि हम अभी इस मामले में यह नहीं देखेंगे कि प्रकरण में किसकी क्या भूमिका है। लेकिन प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि पुलिस के कामकाज में अवरोध पैदा किया गया है। इस मामले में दो बार पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की गई है। पुलिस के पास आधीरात के समय कार से चलनेवाले लोगों से पूछताछ करने का अधिकार है। 

Created On :   26 March 2022 8:22 PM IST

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