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पुलिस ने गलत धाराएं लगाई सिर्फ इस आधार पर रद्द नही हो सकती एफआईआर

डिजिटल डेस्क,मुंबई। पुलिस ने अपराध को लेकर गलत धाराएं लगाई है महज इस आधार पर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। मुंबई निवासी हेमंत बनकर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि उनके खिलाफ मुंबई के वर्ली पुलिस स्टेशन में जो वसूली की एफआईआर दर्ज कराई गई है उसमें उगाही के अपराध के घटक नहीं नजर आ रहे है। इसलिए उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के तहत दर्ज मामले को रद्द कर दिया जाए।
उगाही के मामले में संपत्ति का सौपा जाना महत्वपूर्ण घटक है।जो इस मामले में नजर नहीं आ रहा है। लिहाजा मुझ पर लगाया गया आरोप आधारहीन है। बिल्डर कैलाश अग्रवाल ने इस मामले में बनकर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 387 व 34 के तहत मामला दर्ज किया है। न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सिर्फ मामले में गलत धारा को लगाना एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। कोई भी मामला तभी रद्द किया जा सकता है जब एफआईआर से बिल्कुल भी संज्ञेय अपराध का खुलासा न होता हो।
खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता(बनकर) के खिलाफ लगाया गया आरोप आपराधिक अभित्रास के अपराध का खुलासा करता है। इस मामले में बिल्डर को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली थी। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इस मामले में संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं होता है। लिहाजा याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को सिर्फ इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है कि क्योंकि पुलिस ने उसके खिलाफ गलत धारा लगाई है। बिल्डर अग्रवाल ने अपनी शिकायत में इस मामले में जालसाजी होने का भी दावा किया है।
Created On :   16 Dec 2021 7:57 PM IST