नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने कहा - सिर्फ किसानों की कर्जमाफी ही समाधान नहीं है

Policy Commission member said that debt waiver is not a solution
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने कहा - सिर्फ किसानों की कर्जमाफी ही समाधान नहीं है
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने कहा - सिर्फ किसानों की कर्जमाफी ही समाधान नहीं है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने राज्य में कर्ज माफी का फैसला भले ही लिया है, लेकिन नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद कर्ज माफी को प्रभावी समाधान नहीं मानते हैं। गुरुवार को मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में रमेश चंद ने कहा कि कर्ज माफी परिणामकारक उपाय नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्जमाफी पर इतना बड़ा आर्थिक स्रोत खर्च होता है। इस पर विचार करने की जरूरत है। कर्ज माफी देने के बावजूद किसान दोबारा कर्ज के बोझ में डूब जाएंगे। चंद ने कहा कि किसान आत्महत्या को रोकने के लिए कर्ज माफी प्रभावी उपाय नहीं है। कर्ज माफी पर खर्च होने वाली राशि से किसानों के की भलाई वाली योजनाओं को लागू करना ज्यादा फायदेमंद होगा।

देश में लगभग 60 प्रतिशत किसान लेते कर्ज
रमेश चंद ने कहा कि देश में लगभग 60 प्रतिशत किसान कर्ज लेते हैं। इसमें से 30 फीसदी कर्ज बैंकों के जरिए लेते हैं और बाकी 30 प्रतिशत किसान अन्य जगहों से कर्ज लेते हैं। उन्होंने कहा कि जो किसान बैंकों से कर्ज लेते हैं उसमें से 70 से 80 प्रतिशत किसान कर्ज वापस करते हैं। इसलिए किसानों को कर्ज माफी का लाभ कम होता है। चंद ने कहा कि केंद्र सरकार ने साल 2008 में कर्ज माफी घोषित की गई थी। देश में हर 4 से 5 साल के बाद फिर से कर्ज माफी की मांग होती है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कर्जमाफी कारगर नहीं होती।

किसानों को नहीं मिलता समर्थन मूल्य का लाभ
रमेश चंद ने कहा कि केंद्र सरकार देश में 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है लेकिन किसानों को सिर्फ तीन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है। यह वास्तविकता है। इसलिए इस पर प्रभावी उपाय के लिए नीति आयोग विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग इस साल फसलों के उत्पादन नहीं बल्कि उत्पाद को अच्छी  कीमत देने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए सभी राज्यों को पत्र भेजा गया है।

मध्यप्रदेश में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए भावांतर योजना मध्यप्रदेश सरकार ने शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता है। यदि खुले बाजार में बिक्री करते समय राज्य सरकार को नुकसान उठाना पड़ा तो इसकी भरपाई सरकार को करनी पड़ती है। मध्यप्रदेश में सफल प्रयोग के बाद पूरे राज्य में इस योजना को लागू करने का प्रयास है। अगले एक से डेढ़ महीने में इस बारे में व्यापक योजना घोषित की जाएगी।

Created On :   18 Jan 2018 9:07 PM IST

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