महामंडलों की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक हलचल, म्हाडा नागपुर मंडल की नियुक्ति रद्द

Political stir over appointments of mahamandals
महामंडलों की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक हलचल, म्हाडा नागपुर मंडल की नियुक्ति रद्द
महामंडलों की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक हलचल, म्हाडा नागपुर मंडल की नियुक्ति रद्द

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महामंडलाें की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज होने के आसार है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद ये हलचल और अधिक असर दिखा सकती है। फिलहाल महाविकास आघाड़ी सरकार ने पुरानी नियुक्तियों पर कैंची चलानी शुरु कर दी है। खासकर भाजपा पदाधिकारियों की छुट्टी की जा रही है। म्हाडा मंडल में ज्यादातर भाजपा के पदाधिकारी रहे हैं। इस मंडल की सभी नियुक्तियां रद्द कर दी है। म्हाडा मंडल नागपुर के अध्यक्ष तारिक कुरैशी काम की शुरुआत किए बिना ही सभापति पद से हट गए हैं।

अगस्त 2018 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की सरकार ने महामंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। उनमें म्हाडा  नागपुर मंडल के अध्यक्ष कुरैशी के अलावा महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल के अध्यक्ष अाशीष जैस्वाल, महाराष्ट्र राज्य लघु उद्योग विकास महामंडल के अध्यक्ष संदीप जोशी शामिल थे। खनिकर्म महामंडल के अध्यक्ष के तौर पर जैस्वाल ने नागपुर में ही कुछ खनिज विकास संबंधित परिषदों का आयोजन कराया था। लेकिन बाद में कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले पाये। रामटेक विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद जैस्वाल महामंडल की ओर अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं। महाराष्ट राज्य लघु उद्योग विकास महामंडल के अध्यक्ष संदीप जोशी महापौर चुने गए हैं। वे नागपुर मनपा के माध्यम से विविध उपक्रम चलाकर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं।

महामंडलों में नियुक्ति वैसे भी केवल औपचारिक होकर रह गई है। महामंडल सदस्य नियुक्त होने के बाद भी नागपुर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को किसी बैठक में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया। इन सदस्यों में शेखर सावरबांधे व सतीश हरडे शामिल है। गौरतलब है कि बीते एक दशक से महामंडलों की नियुक्तियों का मामला लगातार लंबित रह रहा है। कांग्रेस राकांपा के नेतृत्व की सरकार के समय इन नियुक्तियों को एक तरह से भुला दिया गया था। 2014 के विधानसभा चुनाव के प्रचार में भाजपा ने महामंडलों की नियुक्ति के मामले को भी मुद्दा बनाया था। लेकिन शिवसेना के सहयोग से भाजपा के नेतृत्व की सरकार बनी तब भी महामंडलों की नियुक्तियां लंबित रही।

शिवसेना के नेता आरोप लगाते रहे कि जानबूझकर भाजपा इन नियुक्तियों को रोक रही है। 4 वर्ष बाद फडणवीस सरकार ने 20 महामंडलों की नियुक्तियां की। लेकिन नियुक्ति के बाद भी महामंडलों के काम शुरु नहीं हुए। फिलहाल म्हाडा मंडल के नागपुर विभाग के अलावा मुंबई, कोंकण, औरंगाबाद, नाशिक व पुणे मंडल की नियुक्तियां रद्द कर दी गई है। महाविकास आघाडी सरकार में मंत्री बनने के बाद म्हाडा के अध्यक्ष उदय सावंत पहले ही पद छोड़ चुके हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर व शिवस्मारक समिति के अध्यक्ष विनायक मेटे ने भी इस्तीफा दिया है।
 
क्या है काम

महामंडलों के माध्यम से विविध सरकारी विभागों के कार्यों को विशेष गति दी जाती है। महामंडल अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा रहता है। लेकिन अब इन महामंडलों के काम संबंधित विभाग के मंत्रालय व मंत्री ही अधिक करते हैं। महामंडल अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति राजनीतिक तौर पर होने लगी है। नेताओं को जोड़े रखने या खुश करने के लिए राजनीतिक दल इन पदों पर नियुक्तियां कराते हैं।
 
निर्णायक बैठक नहीं हुई

म्हाडा महामंडल की निर्णायक बैठक नहीं हुई। महामंडलों के सभी सदस्यों की भी नियुक्ति नहीं हो पायी थी। महामंडल तो क्या किसी भी विकास कार्य या संस्था में राजनीति नहीं होना चाहिए।
तारिक कुरैशी,पूर्व म्हाडा मंडल नागपुर अध्यक्ष


 

 

Created On :   8 Feb 2020 1:06 PM GMT

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